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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने में भारत के समक्ष कौन-सी चुनौतियाँ हैं? इस बात का भी परीक्षण कीजिये कि यदि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन जाता है तो इससे भारत को क्या लाभ होगा? (250 शब्द)

    11 May, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    ♦ सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के समक्ष चुनौतियों को बताना है।

    ♦ भारत के स्थायी सदस्य बनने पर प्राप्त लाभों को बताना है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    ♦ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थिति को बताइये।

    ♦ स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के आधार को बताते हुए इसके समक्ष चुनौतियाँ का उल्लेख करें।

    ♦ यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनने से भारत को होने वाले लाभ बताएँ।

    ♦ एक संतुलित निष्कर्ष लिखें।

    एक बात पर विशेष रूप से ध्यान दीजिये कि यह आवश्यक नहीं है कि आपका उत्तर पैराग्राफ में ही लिखा हुआ हो, आप पॉइंट टू पॉइंट लिखने का प्रयास कीजिये। परीक्षा भवन में परीक्षक का जितना ध्यान आपके उत्तर के प्रस्तुतिकरण पर होता है उतना ही ध्यान इस बात पर भी होता है कि आप कम-से-कम शब्दों में (एक अधिकारी की तरह) अपनी बात को समाप्त करें।


    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) संयुक्त राष्ट्र का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। यह अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिये उत्तरदायी है। परिषद में 5 स्थायी और 5 अस्थायी सदस्य होते हैं। वैश्वीकरण के पश्चात् भू-राजनीतिक संरचना में काफी परिवर्तन आ जाने से सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग उठती रही है। वर्तमान में भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के प्रवल दावेदार के रूप में देखा जाता है।

    • भारत पिछले कई वर्षों से सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग करते हुए अपनी स्थायी सदस्यता के लिये कूटनीतिक प्रयास कर रहा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।
    • यह विश्व की 17 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरणीय क्षेत्र से लेकर पीस कीपिंग अभियानों तक भारत की उल्लेखनीय भूमिका रही है।

    भारत की सदस्यता के लिये प्राँस सहित कई देशों का समर्थन भी प्राप्त है। इन तमाम दावेदारियों के बावजूद भारत की सदस्यता प्राप्ति के समक्ष निम्नलिखित बाधाएँ हैं:-

    • भारत की सदस्यता के लिये चार्टर में संशोधन करना पड़ेगा। इसके लिये स्थायी सदस्यों के साथ-साथ दो-तिहाई देशों द्वारा पुष्टि करना आवश्यक है।
    • चीन भारत की सदस्यता का विरोध करता है।
    • यद्यपि अमेरिका भारत की सदस्यता का समर्थन करता है, लेकिन वीटो पावर सहित सदस्यता के पक्ष में नहीं है।
    • भारत की आर्थिक-सामाजिक स्थिति ज़्यादा सुदृढ़ नहीं है।
    • विभिन्न वैश्विक सूचकांकों जैसे- वैश्विक भूख सूचकांक, मानव विकास सूचकांक आदि में भारत का स्थान काफी पीछे है।
    • कोफी अन्नान समूह के सदस्य देशों द्वारा भारत का विरोध।
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) तथा संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट (यूएजीसी) से प्रस्ताव को अलग-अलग पास करवाना।
    • सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिये अन्य दावेदारों का होना।

    सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता से भारत को लाभ:

    • भारत महत्त्वपूर्ण वैश्विक मुद्दे और नीति निर्माण में अहम भूमिका निभा पाएगा।
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
    • भारत की उभरती हुई सुपर पावर की छवि को बढ़ावा मिलेगा।
    • पीओके तथा ब्लूचिस्तान के संदर्भ में पाकिस्तान पर मज़बूत पकड़ बनाने में सक्षम हो पाएगा।
    • देश का सामाजिक-आर्थिक विकास कर पाएगा।

    भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का एक प्रबल दावेदार है। इसे प्रमुख देशों का समर्थन भी प्राप्त है लेकिन चीन सहित विश्व के कई देश इसका विरोध भी कर रहे हैं। स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिये भारत को वैश्विक समुदाय में अपनी छवि और सुदृढ़ करनी होगी। देश का सामाजिक-आर्थिक विकास करना होगा। साथ ही समय-समय पर अपने दावे को भी प्रस्तुत करते रहना होगा।

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