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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सौर विकिरण प्रबंधन से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रमुख परियोजनाओं को स्पष्ट करते हुए कमियों पर चर्चा करें।

    04 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में सौर विकिरण प्रबंधन को स्पष्ट करें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में इसकी प्रमुख परियोजनाओं को स्पष्ट करते हुए कमियों पर चर्चा करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    सौर विकिरण प्रबंधन वैश्विक तापन को निम्नलिखित प्रक्रियाओं द्वारा कम करने का एक तरीका है-

    • उद्देश्यपूर्वक पृथ्वी के एल्बिडो में परिवर्तन। 
    • पृथ्वी से टकराने वाले सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर वैश्विक तापन को कम करना। 
    • उद्देश्यपूर्वक सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने से रोकना। 
    • सूर्य के प्रकाश के पृथ्वी तक पहुँचने में बाधा पहुँचाना एवं इस प्रकार वैश्विक तापन को कम करना।

    सौर विकिरण प्रबंधन की प्रमुख परियोजनाएँ :

    1. वातावरणीय प्रोजेक्ट

    • समतापमंडलीय सल्फर एरोसॉल उत्सर्जन द्वारा। 
    • परावर्तन करने योग्य एरोसॉल या धूल का निर्माण जैसे – ज्वालामुखी उद्गार से निस्सृत सल्फर एरोसॉल एवं धूल कण वायु मंडल को ठंडा करते हैं। इसमें ज्वालामुखी की प्रतिकृति तैयार की जाती है। 
    • क्लाउड व्हाइटनिंग- क्लाउड रिफ्लेक्टिविटी विंड पॉवर्ड जहाज़ों द्वारा अत्यधिक मात्रा में समुद्री जल को आकाश में छिड़कना जिससे बादल सफ़ेद हो जाते हैं। ज्वालामुखी उद्गार की तरह बादलों की ऊपरी सतह भी सौर विकिरण को परावर्तित करती है। इस प्रकार ये सफ़ेद बादल भी सौर विकिरण को परावर्तित करेंगे। 
    • क्लाउड सीडिंग। 
    • समुद्री सल्फर चक्र में वृद्धि करना।

    2. स्थलीय एल्बिडो परिवर्तन 

    • ठंडी छत- सडकों, छतों एवं फुटपाथों को हल्के या फीके रंगों से रंग कर सूर्य प्रकाश को परावर्तित करना। 

    3. भूमि प्रबंधन

    • उच्च एल्बिडो वाली फसल किस्म को उगाना। 

    4. अंतरिक्ष प्रोजेक्ट 

    • पृथ्वी की कक्षा में पृथ्वी एवं सूर्य के बीच बड़े आकार के शीशों को लगाकर सूर्य प्रकाश को परावर्तित करना। 

    सौर विकिरण प्रबंधन की कमियाँ :

    • पर्यावरणीय क्षति का कारण बन सकता है :
      ⇒ सूखे की आशंका। 
    • मनुष्य एवं पौधों को खतरा : 
      ⇒ प्रकाश संश्लेषण हेतु प्रत्यक्ष सूर्य प्रकाश की आवश्यकता होगी। 
      ⇒ साँस द्वारा रसायनों का शरीर में प्रवेश करना।
      ⇒ मनुष्यों के लिये प्रत्यक्ष सूर्य प्रकाश की कमी विटामिन D की कमी का कारण बनेगा। 

    वस्तुतः जलवायु परिवर्तन की दिशा को मोड़ने हेतु सबसे सुरक्षित एवं उम्मीद भरा तरीका है- उत्सर्जन में कमी हेतु प्रारंभिक एवं सक्षम कार्य करना। कोई भी भू-अभियांत्रिकी तरीका जलवायु परिवर्तन की समस्या के तौर पर सरल एवं आसानी से स्वीकृत नहीं हो सकता।

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