उर्वरकों की सस्ती उपलब्धता ने उनके अनियंत्रित उपयोग को बढ़ावा दिया है, विशेष रूप से यूरिया के उपयोग ने मृदा का इस हद तक क्षरण किया है कि पैदावार में वास्तव में गिरावट शुरू हो गई है। उर्वरकों पर निर्भरता को कम करने के लिये उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन करते हुए उन पर चर्चा कीजिये।(250 शब्द)
04 May, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
प्रश्न विच्छेद ♦ उर्वरकों विशेषकर यूरिया के अनियंत्रित उपयोग के दुष्परिणाम को बताना है। ♦ उर्वरकों के विकल्प का मूल्यांकन करना है। हल करने का दृष्टिकोण ♦ संक्षिप्त भूमिका लिखें। ♦ उर्वरकों, विशेषकर यूरिया के अनियंत्रित उपयोग एवं उसके दुष्परिणामों को स्पष्ट करें। ♦ इस संदर्भ में किये गए सरकार के प्रयासों को बताते हुए उर्वरक के विकल्पों को बताएँ। ♦ अंत में निष्कर्ष लिखें। एक बात पर विशेष रूप से ध्यान दीजिये कि यह आवश्यक नहीं है कि आपका उत्तर पैराग्राफ में ही लिखा हुआ हो, आप पॉइंट टू पॉइंट लिखने का प्रयास कीजिये। परीक्षा भवन में परीक्षक का जितना ध्यान आपके उत्तर के प्रस्तुतिकरण पर होता है उतना ही ध्यान इस बात पर भी होता है कि आप कम-से-कम शब्दों में (एक अधिकारी की तरह) अपनी बात को समाप्त करें। |
1960 के दशक में शुरू की गई प्रथम हरित क्रांति को सफल बनाने में रासायनिक उर्वरकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। इसके कारण भारत खाद्य आयातक से खाद्य निर्यातक की स्थिति में पहुँच गया। परंतु यूरिया आज मृदा क्षरण के कारण के रूप में कृषि के ज़रिये अभिशाप बनती जा रही है।
उर्वरकों पर निर्भरता कम करने के लिये निम्नलिखित विकल्पों को अपनाया जाना चाहिये-
बढ़ती आबादी, ग्लोबल वार्मिंग एवं भुखमरी आदि को ध्यान में रखते हुए भारत को कृषि पैटर्न में बदलाव लाकर तथा जैविक कृषि को प्रोत्साहित कर मिट्टी की उर्वरता को संरक्षित करना चाहिये ताकि उर्वरकों पर निर्भरता को कम किया जा सके।