- फ़िल्टर करें :
- भूगोल
- इतिहास
- हिंदी साहित्य
-
प्रश्न :
नागार्जुन की काव्य भाषा पर एक संक्षिप्त निबंध लिखिये। (2015)
29 Jan, 2017 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यउत्तर :
नागार्जुन के काव्य का जितना संवेदना पक्ष मज़बूत है, उतना ही अभिव्यक्ति पक्ष भी। उनके अभिव्यक्ति पक्ष की सबसे मज़बूत कड़ी उनकी भाषा है जो कई स्तरों पर विशिष्ट और मौलिक प्रयोगों से युक्त है।
नागार्जुन की भाषा की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता है- भाषा का काव्य के अनुरूप होना। वे जड़ प्रगतिवादी कवि नहीं हैं, इसलिये ‘बादल को घिरते देखा है’ में काव्य के अनुरूप संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली है-
"बालारूण की मृदु किरणें थी
अगल-बगल स्वर्णाभ शिखर थे"नागार्जुन की भाषा का एक मज़बूत पक्ष है- बिंब और प्रतीक योजना। "बादल को घिरते देखा है" कविता तो पूरी की पूरी बिंब विधान में ही रची गई है। यूँ लगता है कि कविता बिंबों की ही पूरीशृंखला है। विराट और भयानक बिंब भी हैं, कोमल और सुकुमार भी।
"मैंने तो भीषण जाड़ों में
नभचुम्बी कैलाश शीर्ष पर
महामेघ को झंझानिल से
गरज-गरज भिड़ते देखा है"इसी प्रकार, प्रतीक योजना भी द्रष्टव्य है। ‘हरिजन गाथा’ में कृष्णावतार के मिथकीय प्रतीक का प्रयोग किया गया है, ‘बादल को घिरते देखा है’ में बादल को क्रांति के प्रतीक के रूप में पेश किया गया है। इसी प्रकार ‘अकाल और उसके बाद’ में आंगन से ऊपर उठना, कौए का पंख खुजलाना जैसे प्रतीक प्रस्तुत किये गए हैं।
समग्र रूप में कहा जा सकता है कि नागार्जुन की भाषा अत्यंत सशक्त व प्रयोगधर्मी है जहाँ देशज से लेकर संस्कृत शब्दों का खुलकर प्रयोग किया गया है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print