वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में हिंदी भाषा के विकास का सर्वेक्षण कीजिये और उस पर उपयुक्त एवं तर्कपूर्ण टिप्पणी कीजिये। (2015 प्रथम प्रश्न पत्र, 3a)
18 Jan, 2018 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यहिंदी के वैज्ञानिक व तकनीकी विकास की स्थिति को कई आधारों पर आकलित किया जा सकता है, जिनमें प्रमुख हैं- हिंदी में अनुवाद की स्थिति, पारिभाषिक शब्दावली के निर्माण की स्थिति, मानकीकरण के प्रयास, टंकण व अन्य यांत्रिक विकास की स्थिति।
मानकीकरण के प्रयास 20वीं सदी के प्रारंभ से दिखने लगते हैं तथा धीरे-धीरे हिंदी का मानकीकरण सरकारी सहायता के साथ-साथ लगभग पूरा हो गया है।
इसी तरह, पारिभाषिक शब्दों के विकास हेतु वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग तथा विधायी आयोग ने विज्ञान, वाणिज्य व मानविकी क्षेत्रों से संबंधित कई विषयों की मानक शब्दावली तैयार की है। हालाँकि शब्दकोष के स्तर पर सिद्धांततः हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा बन गई किन्तु व्यावहारिक स्तर पर स्थिति अभी संतोषजनक नहीं है। इसी तरह अनुवाद कार्य हेतु भारत सरकार ने केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो का गठन किया है जो लाखों शब्दों का अनुवाद कर चुका है तथा प्रत्येक वर्ष अपने लक्ष्यों को पूरा कर रहा है।
तकनीकी क्षेत्र में यदि हिंदी के कंप्यूटरीकरण के स्तर विकास को परखें तो यह नज़र आता है कि कई क्षेत्रों में अच्छा विकास हुआ है, जैसे- वर्ड प्रोसेसिंग (शब्द संसाधन) में पत्र लिखना, रिपोर्ट तैयार करना, लेख लिखना आदि कार्य काफी अच्छी स्थिति में हैं।
जहाँ तक ‘सिस्टम सॉफ्टवेयर’ का संबंध है, हिंदी में अपना सिस्टम सॉफ्टवेयर विकसित नहीं हुआ है। हिंदी में अभी भी आवश्यक निर्देश डॉस, विंडोज़, सिस्टम जैसे सॉफ्टवेयर के माध्यम से दिये जाते हैं।
हिंदी टाइपिंग के क्षेत्र में विकास के बावजूद आज भी कई समस्याएँ मौजूद हैं। इन समस्याओं में प्रमुख हैं- की-बोर्ड के मानकीकरण की समस्या, फॉन्ट्स की समस्या व उपयुक्त सॉफ्टवेयर की कमी आदि।
स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में हिंदी के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास में कई महत्त्वपूर्ण चरण हमने पूरे किये हैं। इस क्षेत्र में अभी भी काफी चुनौतियाँ विद्यमान हैं। पहली चुनौती हिंदी में वैज्ञानिक शब्दावली के साथ कंप्यूटर के सिस्टम सॉफ्टवेयर के विकास की है। इसके साथ ही, यह भी एक चुनौती है कि हिंदी में वे सभी सुविधाएँ मौजूद हों जो अभी अंग्रेज़ी और रोमन के लिये हैं।