- फ़िल्टर करें :
- भूगोल
- इतिहास
- हिंदी साहित्य
-
प्रश्न :
अज्ञेय की काव्य-भाषा पर एक संक्षिप्त लेख लिखो। (2014, प्रथम प्रश्न-पत्र, 6c)
03 Jan, 2018 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यउत्तर :
अज्ञेय उन गिने-चुने साहित्यकारों में से हैं जो भाषा को जीवन में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं। उनकी दृष्टि में भाषा भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम न होकर अपनी स्वतंत्र रचनात्मकता रखती है। उनके अनुसार ‘काव्य शब्द’ है।
उपरोक्त दृष्टि से ही यदि अज्ञेय की भाषा की विशिष्टताओं पर नज़र डालें तो कह सकते हैं कि शब्द प्रयोग में एक अद्भुत तराश दिखाई देती है, अनावश्यक शब्दों का प्रयोग न के बराबर है-
"आ गए प्रियंवद! केशकम्बली! गुफा गेह!
राजा ने आसन दिया।"तत्सम एवं तद्भव शब्दों का कौशलपूर्ण संगुम्फन अज्ञेय की काव्य भाषा की विशिष्ट पहचान है। तत्सम शब्दों के प्रयोग का उदाहरण-
"अपने छायातप, वृष्टि-पवन,
पल्लव कुसुमों की लय पर"अज्ञेय की काव्य भाषा में ‘मौन’ की प्रमुख भूमिका रही है। उनकी कविताओं में ‘मौन’ गहरी अर्थवत्ता को धारण करता है। मौन की स्थिति असाध्य वीणा में अपेक्षतया विस्तार से अंकित हुई है-
"सुना आपने जो वह मेरा नहीं न वीणा का था
वह तो सब कुछ की तथता थी महाशून्य, महामौन"अज्ञेय मूलतः तद्भव भाषा के कवि हैं। असाध्य वीणा की भाषा मूलतः तद्भव प्रकृति की है। अज्ञेय का गद्य संसार प्रायः तत्सम प्रकृति का रहा है-
"दुख सबको मांजता है" (पद्य)
"वेदना में एक शक्ति है जो दृष्टि देती है (गद्य)" और पद्य प्रायः तद्भव प्रकृति का।अज्ञेय की भाषा का मूल्यांकन यदि बिंब, प्रतीक, लयात्मकता व नादयोजना जैसे काव्यशास्त्रीय प्रतिमानों के आधार पर करें तो यह एक सशक्त व प्रयोगशील भाषा के रूप में सामने आती है। अज्ञेय की कविता बिंबों का बहुत सधा हुआ प्रयोग करती है। ‘अंधेरे में’ और ‘असाध्य वीणा’ में दृश्य, ध्वनि, स्पर्श आदि बिंबों का सफल प्रयोग हुआ है-
"चौंके खग-शावक की चिहुँक"
नादात्मकता अज्ञेय की भाषा का प्राण तत्त्व है। ये वे ध्वनियाँ होती हैं जो खास प्रभाव पैदा करती हैं। इसे अज्ञेय ने अत्यंत सावधानीपूर्वक चुना है- ‘वर्षा बूंदों की पटपट’- महुए का चुपचाप टपकना, सोने की खनक इत्यादि।
निष्कर्षतः अज्ञेय ने शब्दों के प्रयोग व निर्माण में जिस सूक्ष्मता का परिचय दिया है उससे वे सचमुच अपनी आवश्यकताओं के अनुकूल भाषा का निर्माण कर सके हैं। भाषिक क्षमता के आधार पर उनकी तुलना कालिदास जैसे रचनाकारों के साथ ही की जा सकती है।To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print