‘झूठा सच’ के आधार पर यशपाल की जीवन दृष्टि। (2014, प्रथम प्रश्न-पत्र, 5c)
29 Dec, 2017 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्ययह यशपाल का सबसे महत्त्वपूर्ण उपन्यास है जो उनकी प्रसिद्धि का मुख्य आधार भी रहा है। अपनी प्रकृति में यह एक महाकाव्यात्मक उपन्यास है जो भारत के विभाजन की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। भारत विभाजन की त्रासदी के माध्यम से इस कहानी में यशपाल की जीवनदृष्टि चित्र भी उभरा है।
उपन्यास के माध्यम से यशपाल ने देश-विभाजन व सांप्रदायिकता के प्रति एक समाजवादी-मार्क्सवादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। लेखक की दृष्टि में देश-विभाजन के पीछे आर्थिक पहलू सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। वे निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि पंजाब में हिन्दू आर्थिक रूप से सशक्त थे यही कारण है कि उनका आर्थिक व राजनीतिक जीवन में बहुसंख्यकों से अधिक बोलबाला था।
झूठा सच में यशपाल ने मात्र विभाजन की त्रासदी का ही वर्णन नहीं किया है बल्कि सांप्रदायिकता, रक्तपात आदि के बीच जनता की उभर रही जिजीविषा को प्रस्तुत किया है। यशपाल दिखाते हैं कि कैसे असहनीय कष्टों व दंगों के बावजूद जनता ने संघर्ष किया और पुनः सामान्य तरीके से उठ खड़ी हुई। यशपाल ने दिखाया है कि आम जनता में धैर्य, जिजीविषा व जुझारूपन के गुण पाए जाते हैं जो उन्हें बड़े-बड़े संकटों से उबार लेते है।