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प्रश्न :
अवधी की व्याकरणिक विशेषताएँ। (2014, प्रथम प्रश्न-पत्र, 1 c)
12 Dec, 2017 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यउत्तर :
अवधी की व्याकरणिक विशेषताओं को कारक व्यवस्था, सर्वनाम क्रिया व्यवस्था तथा वचन व्यवस्था आदि चार स्तरों पर उल्लिखित किया जा सकता है।
कारक व्यवस्था
- कहीं-कहीं निर्विभक्तिक प्रयोग दिखाई देते हैं- राम दरस मिटि गई कलुसाई (संबंध कारक का लोप)
- ‘हिं’ विभक्ति के प्रयोग से कई कारकों का काम चलता है।
- आधुनिक आर्य भाषा के अनुकूल परसर्गों का तीव्र विकास अवधी में दिखाई देता है।
सर्वनाम
इस बोली में प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम इस प्रकार हैं-- उत्तम पुरुष बहुवचन - हम, हम लोग
- उत्तम पुरुष एकवचन - तू, तूँ,
- मध्यम पुरुष बहुवचन - तुम, तुम्हार
- अन्य पुरुष एकवचन - वह, उ, ओ
- अन्य पुरुष बहुवचन - वेइ, तेइ
क्रिया व्यवस्था
क्रियाओं में वर्तमान के लिये त-रूप (बैठत, देखत), भूतकाल के लिये वा-रूप (आवा, जावा) तथा भविष्य काल के लिये ब-रूप (खाइब) प्रचलित है। इसी प्रकार, संसार्थ क्रियाओं हेतु ‘ब’ रूप दिखाई देता है, जैसे- देखब, करब इत्यादि। संयुक्त क्रियाएँ कम हैं किंतु दिखाई देती हैं।
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