हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता (net security provider) के रूप में अपनी उभरती भूमिका के निर्वहन में भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा? (250 शब्द)
29 Apr, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रश्न विच्छेद ♦ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘शुद्ध सुरक्षा प्रदाता’ के रूप में भारत के समक्ष चुनौतियाँ। हल करने का दृष्टिकोण ♦ शुद्ध सुरक्षा प्रदाता राष्ट्र से तात्पर्य बताते हुए सभी आयामों को शामिल कर एक प्रभावी भूमिका लिखें। ♦ भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका को बताते हुए भारत के समक्ष चुनौतियों का उल्लेख करें। सुक्षाव प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष लिखें। |
शुद्ध सुरक्षा प्रदाता राष्ट्र वह राष्ट्र होता है, जो न केवल अपनी बल्कि आस-पास के राष्ट्रों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का भी संबोधन कर सकता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र शब्द का प्रयोग हिंद महासागर एवं प्रशांत महासागर के क्षेत्रों के लिये किया जाता है, जिसमें विवादित दक्षिण चीन सागर भी शामिल है।
♦ भारत को स्वास्थ्य, ऊर्जा और क्षेत्रीय संपर्क तथा बिजली क्षेत्र में प्रगति करनी होगी।
♦ भारत को पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मज़बूत कर इन राष्ट्रों के विकास में मुख्य भूमिका निभानी होगी।
♦ बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर के आगे मलक्का जलसंधि के रास्ते प्रशांत महासागर में प्रवेश करने वाले सम्पर्क मार्ग को नियंत्रित करना होगा।
♦ दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक नीति को संतुलित करने के लिये आसियान देशों के साथ आर्थिक, सामरिक, भू-राजनीतिक एवं ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से संबंध को और मज़बूत करना होगा।
♦ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वियों को संतुलित करने, आतंकवाद, ड्रग कारोबार, लूट, तस्करी आदि चुनिौतियों से निपटने के लिये अपनी सामुद्रिक सुरक्षा को और मज़बूत करना होगा।
♦ लुक एक्ट नीति के तहत सार्क, बिम्सटेक और आसियान को एक मंच पर लाने का प्रयास करना होगा।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कई ऐसी चुनौतियाँ है जो प्रत्यक्ष रूप से भारत के हित को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में सबसे पहले भारत को अपनी आर्थिक, सामरिक और भू-राजनीतिक शक्तियों का विस्तार करना चाहिये। इस क्षेत्र में चीन और अन्य सुरक्षा चिंताओं से निपटना किसी अकेले के लिये संभव नहीं है। अत: भारत को सार्क, बिम्सटेक और आसियान के साथ मिलकर क्षेत्रीय एकता का निर्माण करना चाहिये।