विश्लेषित कीजिये कि किस प्रकार प्रथम विश्वयुद्ध ‘रूसी क्रांति’ के लिये एक ऐसी घटना सिद्ध हुई जिसने रूसी जनता को राजनीति से जोड़ा तथा एकतंत्रीय सत्ता के विरोध में सभी राजनीतिक ताकतों को एकसूत्र में पिरो दिया। (250 शब्द)
उत्तर :
प्रश्न विच्छेद
♦ रूसी क्रांति के लिये ज़िम्मेदार प्रथम विश्व युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों को बताना है।
हल करने का दृष्टिकोण
सर्वप्रथम भूमिका लिखें।
♦ प्रथम विश्व युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों का उल्लेख करें।
♦ इन परिस्थितियों ने कैसे रूसी जनता को राजनीति से जोड़ा तथा एकतंत्रीय सत्ता के विरोध में सभी राजनीतिक ताकतों को एकसूत्र में पिरो दिया।
निष्कर्ष लिखें।
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वर्ष 1917 की रूसी क्रांति निरकुंश एवं स्वेच्छाचारी शासन, पिछड़ी अर्थव्यवस्था तथा प्रथम विश्व युद्धकालीन परिस्थितियों आदि का सम्मिलित परिणाम थी। इस क्रांति के माध्यम से विश्व में साम्यवादी प्रसार की शुरुआत हुई।
प्रथम विश्वयुद्ध रूसी क्रांति के आरंभ के लिये तत्कालीन घटना सिद्ध हुआ, क्योंकि:
- प्रथम विश्व युद्ध में भागीदारी से रूस की स्थिति आर्थिक एवं सैन्य दृष्टि से कमज़ोर हुई।
- प्रथम विश्व युद्ध में पराजित होने से राष्ट्रीय असंतोष में वृद्धि हुई तथा राष्ट्रवादी उग्र हुए।
- युद्ध के समय बड़ी संख्या में सैनिकों की भर्ती की गई लेकिन पर्याप्त युद्ध सामग्री न मिलने के कारण उनमें असंतोष बढ़ा।
- किसान और मज़दूर भी युद्ध के प्रभावों से नहीं बच पाए। इससे उत्पादन में गिरावट तथा वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि हुई और बेरोज़गारी बढ़ी। फलत: जन असंतोष में और वृद्धि हुई।
- उपर्युक्त परिस्थितियों ने एकतंत्रीय निरकुंश राजतंत्र के अस्तित्व को ही संकट में डाल दिया। इससे रूसी जनता (सभी वर्ग) राजनीति से जुड़ी।
- यद्यपि इसकी शुरुआत वर्ष 1905 की क्रांति के माध्यम से ड्यूमा के गठन के द्वारा से हो चुकी थी। लेकिन इस समय इसका दायरा बढ़ गया था, क्योंकि इस समय किसान, मज़दूर, मध्यम वर्ग एवं सैनिक वर्ग भी निरकुंश एकतंत्रीय सत्ता के विरोध में हो गया।
- अंतत: 8 मार्च को रोटी के लिये पेट्रोगाद की सड़कों पर जुलूस निकाला गया। इसके दमन के लिये जार ने सेना भेजी, लेकिन उन्होंने गोली चलाने से इनकार कर दिया तथा विद्रोहियों से मिल गए।
- फलत: मज़दूरों एवं सैनिकों ने मिलकर क्रांतिकारी सोवियत परिषद का गठन किया और ड्यूमा के सदस्यों के साथ मिलकर अस्थायी सरकार का गठन किया। इस सरकार के गठन के साथ ही निरकुंश राजतंत्र की समाप्ति हुई।
निष्कर्षत: कह सकते हैं कि प्रथम विश्व युद्ध से उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक अव्यवस्था ने पहले से असंतुष्ट रूसी जनता को राजनीति से और सक्रिय रूप से जोड़ा तथा एकतंत्रीय निरकुंश सत्ता को समाप्त किया।