मानक हिंदी के स्वरूप पर प्रकाश डालिये। (2013, प्रथम प्रश्न-पत्र, 3 क)
04 Dec, 2017 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यमानक हिंदी से तात्पर्य, खड़ी बोली से विकसित और नागरी लिपि में लिखी जाने वाली उस मानक भाषा से है जिसे उच्च हिंदी या परिनिष्ठित हिंदी भी कहा जाता है। यही हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा, राजभाषा तथा संपर्क भाषा है। यही शिक्षा, प्रशासन, वाणिज्य, समाचार-पत्र, कला और संस्कृति की विभिन्न विधाओं के लिये सम्प्रेषण का माध्यम है। ये मानक भाषा के बाहरी रूप या बहिरंग आयाम हैं।
अंतरंग आयामों के अंतर्गत मानक हिंदी की भाषिक संरचना तथा व्याकरणिक व्यवस्था की दृष्टि से उसके स्वरूप को देखा जा सकता है। हिंदी निरन्तर विकसित और परिष्कृत होती रही है।
आज हिंदी का जो मानक स्वरूप निर्धारित हो पाया है वह लगभग पिछली दस शताब्दियों का परिणाम है। ठोस स्तर पर यह प्रक्रिया भारतेंदु युग से प्रारंभ हुई। मानक हिंदी का मूल आधार ‘खड़ी बोली’ है। हिंदी की विभिन्न शैलियों एवं बोलियों में से एक ‘खड़ी बोली’ ने मानक हिंदी की ओर अग्रसर होने के क्रम में शब्दावली के स्तर पर विभिन्न स्रोतों का सहारा लिया है।
इन सभी स्रोतों में सबसे प्रमुख संस्कृत के स्रोत हैं जहाँ से व्यापक स्तर पर तत्सम शब्दों को ग्रहण किया गया है। इसके अतिरिक्त कई विदेशी भाषाओं एवं देशी बोलियों से भी शब्द ग्रहण किये गए हैं।