कृष्णा सोबती की कहानियों के आधार पर उनकी कथा-भाषा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये। (2013, प्रथम प्रश्न-पत्र, 7 ख)
24 Nov, 2017 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यकृष्णा सोबती हिन्दी कहानी परंपरा की सशक्त महिला कहानीकार हैं। इनकी कहानियाँ अपनी भाषायी विशिष्टता व प्रयोगों की दृष्टि से अलग ही महत्त्व रखती हैं।
कृष्णा सोबती ने अपनी प्रत्येक कहानी में कथ्य के अनुरूप भाषा का चयन किया है। इसलिये हर रचना में भाषा अपनी पारंपरिक अभिव्यक्ति को तोड़कर एकदम नई अभिव्यक्ति ढूंढने में सक्षम हो सकती है।
इनकी कहानियों की भाषा मन की सूक्ष्म-संवेदनाओं को पकड़ने की क्षमता रखती है। छोटे-छोटे वाक्यों से गठित संवाद कहानी को प्रभावपूर्ण एवं संप्रेषणीय बनाते हैं।
कृष्णा सोबती की कथा भाषा में मनुक्ख मार, हुलेरे, सयाले भौंडे आदि अनेक देशज शब्दों का प्रचुर मात्रा में प्रयोग हुआ है। भाषा में गालियों का भी प्रयोग हुआ जिसे लेकर इन पर अश्लीलता के आरोप भी लगे हैं।
इन्होंने पहली बार ऐसी भाषा का प्रयोग किया या ऐसी शैली विकसित की जिसे ‘पंजाबी-मिश्रित-हिन्दी’ कहा जा सकता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि कृष्णा सोबती की भाषा सशक्त व नई संभावनाओं को धारण करने वाली है।