नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "जैनेंद्र के नारी चरित्र" विषय पर एक निबंध। (2013, प्रथम प्रश्न-पत्र, 7क)

    23 Nov, 2017 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    उत्तर :

    जैनेन्द्र के उपन्यास बाह्य जगत की अभिव्यक्ति की बजाय व्यक्ति के अंतर्जगत का निरूपण करते हैं। अंतर्मन और भाव-जगत का निरूपण करने के लिये उन्होंने प्रमुखतः नारी पात्रों का ही आश्रय लिया है। ये नारी पात्र पुरुषों की तुलना में अधिक प्रखर, जीवंत और व्यक्तित्व संपन्न हैं।

    जैनेन्द्र के प्रायः सभी प्रमुख उपन्यासों में नारियाँ केंद्रीय पात्र के रूप में उभरती हैं। ‘त्यागपत्र’ में ‘मृणाल’ ‘सुनीता’ में ‘सुनीता’, ‘परख’ में ‘कट्टो’ तथा ‘सुखदा’ में ‘सुखदा’ इसी प्रकार के उदाहरण हैं।

    जैनेन्द्र ने नारी पात्रों के माध्यम से यह प्रस्तुत किया है कि शारीरिक पतन अनिवार्य रूप से चारित्रिक पतन नहीं होता। इसी कारण इनके नारी पात्र सतीत्व में विश्वास न करने वाले व यौन व्यवहार में उन्मुक्त हैं। सुनीता व मृणाल स्पष्ट रूप से इस प्रकार के उदाहरण हैं।

    जैनेन्द्र के नारी पात्रों की एक अन्य विशेषता यह है कि समस्त नारी पात्रों में बुद्धि एवं हृदय का संघर्ष अनिवार्यतः दर्शाया गया है। ‘सुनीता’, ‘कट्टो,’ व ‘मृणाल’ जहाँ कभी प्रेमी की ओर झुकती हैं तो कभी अपने पति के प्रति। 

    समग्र रूप में कहा जाए तो यह सत्य है कि जैनेन्द्र के नारी पात्र अत्यंत सशक्त व विशिष्ट हैं। यही विशिष्टता इनके उपन्यासों को अधिक महत्त्व प्रदान करती है। 

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow