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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    खुसरो की कविता की विशेषताएँ। (UPSC 2013, प्रथम प्रश्न-पत्र, 1 ग)

    11 Nov, 2017 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    उत्तर :

    खुसरो हिन्दी साहित्य के आदिकाल के प्रमुख कवि हैं। इनका व्यक्तित्व बहुआयामी है और बहुआयामी होने का यह गुण उनकी कविताओं में भी स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।

    यदि खुसरो की कविताओं के संवेदना पक्ष पर नज़र डालें तो प्रतीत होता है कि यहाँ पर्याप्त विषय-वैविध्य दिखाई पड़ता है। ज्ञानमूलक साहित्य से लेकर सामाजिक समस्याओं पर चोट करने तक की सारी अंतर्वस्तु उनके काव्य में विद्यमान है।

    खुसरो का ज्ञानमूलक साहित्य अत्यंत समृद्ध है, जिसमें पहेलियाँ, मुकरियाँ व दो सुखने शामिल हैं। बाल मनोरंजन का एक उदाहरण-

    "एक थाल मोती से भरा,
     सबके सिर औंधा धरा
    चारों ओर वह थाली फिरे, मोती उससे एक न गिरे"

    इसी प्रकार खुसरो के काव्य में सूफी दर्शन, जिसमें इश्कमिज़ाजी से इश्क हकीकी तक की यात्रा शामिल है, व्यक्त हुआ है-

                                              "गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस।
                                          चल खुसरो घर आपने ,रैन भई चहुँ देस।।"

    खुसरो का संवेदना संसार मनोरंजन या दर्शन तक सीमित नहीं है बल्कि उन्होंने तत्कालीन सामाजिक समस्याओं को भी उसी तत्परता से उभारा है-

    "काहे को बियाहे परदेस सुन बाबुल मोरे" समन्वय की विराट चेतना, प्रेम व भाईचारे के मूल्य की प्रतिष्ठा आदि खुसरो की अन्य संवेदनागत विशेषताएँ हैं।

    खुसरो की कविताएँ जितनी संवेदनात्मक रूप से विशिष्ट व वैविध्यपूर्ण हैं, उतनी ही शिल्प की दृष्टि से भी। उनका साहित्य हमें आरंभिक ब्रज व खड़ी बोली से परिचित करवाता है। आश्चर्य तो तब होता है, जब उनके यहाँ शुद्ध खड़ी व शुद्ध ब्रज का प्रयोग दिखाई देता है-

                                     शुद्ध ब्रज- "गोरी सोवे सेज पर मुख पर डारे केस।"
                                             शुद्ध खड़ी बोली- "एक थाल मोती से भरा।"

    खुसरो का साहित्य समन्वय स्थापित करता दिखाई देता है जहाँ फारसी व ब्रज, लोकभाषा व साहित्य भाषा आदि का समन्वय दिखाई देता है। खुसरो की कविताएँ माधुर्य व प्रसाद गुणों से युक्त हैं, वहीं दूसरी ओर चित्रात्मकता, बिंबात्मकता, उक्ति-वैचित्र्य व उच्च कोटि की व्यंग्य क्षमता से भी युक्त हैं।

    सार रूप में कहा जा सकता है कि हिन्दी साहित्य के प्रणेता के रूप में खुसरो ने भाव व शिल्प के स्तर पर हिन्दी साहित्य को कई आयाम प्रदान किये। 

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