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प्रश्न :
रोज़गारविहीन आर्थिक संवृद्धि भारत के युवाओं के लिये हमेशा मुश्किल खड़ी करती रही है। रोज़गारविहीन आर्थिक संवृद्धि के कारणों को समझाइये और इस मुद्दे के समाधान के लिये उपाय सुझाइये। (250 शब्द)
25 Apr, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
प्रश्न विच्छेद
♦ प्रश्न को समझने के लिये आप सबसे पहले इसे दो भागों में विभाजित कीजिये। (i) रोज़गारविहिन आर्थिक वृद्धि का युवाओं पर प्रभाव और (ii) रोज़गारविहिन आर्थिक वृद्धि का कारण एवं इसके निवारण के उपाय।
हल करने का दृष्टिकोण
♦ अब बात करते हैं इसके उत्तर की शुरुआत की। सबसे पहले रोज़गारविहिन आर्थिक वृद्धि को स्पष्ट करें।
♦ इसके बाद रोज़गारविहिन आर्थिक वृद्धि के कारण एवं युवाओं पर पड़ने वाले प्रभाव बताएँ।
♦ रोज़गारविहिन आर्थिक वृद्धि को दूर करने के उपाय बताते हुए अंत में निष्कर्ष लिखें।
एक बात पर विशेष रूप से ध्यान दीजिये कि यह आवश्यक नहीं है कि आपका उत्तर पैराग्राफ में ही लिखा हुआ हो, आप पॉइंट टू पॉइंट लिखने का प्रयास कीजिये। परीक्षा भवन में परीक्षक का जितना ध्यान आपके उत्तर के प्रस्तुतिकरण पर होता है उतना ही ध्यान इस बात पर भी होता है कि आप कम-से-कम शब्दों में (एक अधिकारी की तरह) अपनी बात को समाप्त करें।
रोज़गार विहिन आर्थिक वृद्धि का तात्पर्य सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की तुलना में रोज़गार सृजन कम होना है। आर्थिक सिद्धांत यह मानते है कि जिस देश का सकल घरेलू उत्पाद तेज़ी से बढ़ता है वहाँ रोज़गार सृजन उसी अनुपात तेज़ी से बढ़ता है वहाँ रोज़गार सृजन भी उसी अनुपात में तीव्रता से होता है। परंतु कई कारणों से भारत में यह संभव नहीं हुआ, जिसका दुष्परिणाम विशेषकर युवाओं पर पड़ता है।- एनएसएसओ (NSSO) तथा लेबर ब्यूरो के आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि पिछले डेढ़ दशक में भारत की जीडीपी जिस गति से आगे बढ़ी है उस गति से रोज़गार में वृद्धि नहीं हुई है।
रोज़गारविहिन इस विकास के निम्नलिखित कारण हैं:
- भारतीय अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्र से सेवा क्षेत्र प्रधान अर्थव्यवस्था बन जाना, जबकि सामान्य तौर पर कोई अर्थव्यवस्था प्राथमिक क्षेत्र से द्वितीयक और तब सेवा क्षेत्र प्रधान अर्थव्यवस्था बनती हैं।
- द्वितीयक क्षेत्र के अल्प विकास के कारण रोज़गार का सृजन आवश्यकतानुसार नहीं हो सका।
- बुनियादी ढ़ाँचे के अल्प विकास से उद्योगों का विकास प्रभावित होना।
- शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा का अभाव।
- श्रम कानूनों की जटिलता आदि।
उपर्युक्त कारणों से भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंड का बेहतर दोहन नहीं किया जा सका। भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी 35 वर्ष से कम की है। यह युवा उर्जा बेहतर रोज़गार के अभाव में जड़ता एवं अवसाद की शिकार हो रही है, जिससे वह आपराधिक गतिविधियों की तरफ ज़्यादा उन्मुख हो रही है। कश्मीर में युवाओं द्वारा पैसे लेकर पत्थर पेंकना इसका प्रमुख उदाहरण है।
रोज़गारविहिन संवृद्धि के मुद्दों के समाधान के लिये कई प्रयास करने चाहिये, जैसे:-
♦ श्रम कानूनों का सरलीकरण,
♦ शिक्षा को रोज़गार उन्मुख बनाने पर बल,
♦ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के विकास पर बल,
♦ पूंजी प्रधान उद्योगों की बजाय श्रम प्रधान उद्योगों को ज़्यादा वरीयता प्रदान कर आदि।
- सरकार ने रोज़गार सृजन के लिये ‘मेक इन इंडिया, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप एवं स्टैंडअप जैसे कार्यकमों को शुरू किया है।
वस्ततु: रोज़गारविहिन संवृद्धि देश के डेमोग्राफिक लाभांश के सदुपयोग में बाधा पहुँचाती है, जिससे युवाओं में निराशा पनपती है, अत: आवश्यक उपायों को अपनाकर आर्थिक संवृद्धि एवं रोज़गार सृजन के अनुपात को संतुलित करना चाहिये।
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