रोहिंग्या शरणार्थी संकट, स्वहित और पड़ोस की अपेक्षाओं में संतुलन कायम करने की भारत की क्षमता का परीक्षण है। विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
24 Apr, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रश्न विच्छेद ♦ इस उत्तर में आपको रोहिंग्या शरणार्थी संकट के संदर्भ में भारत की नीति की समीक्षा पर बल देना है। हल करने का दृष्टिकोण ♦ उत्तर की शुरुआत एक प्रभावी भूमिका से कीजिये, इसमें रोहिंग्या शरणार्थी की समस्या को संक्षेप में स्पष्ट करने का प्रयास कीजिये। ♦ इसके बाद रोहिंग्या समस्या का वर्णन करते हुए भारत की भूमिका को स्पष्ट कीजिये। ♦ बताएँ कि भारत को इस समस्या का समाधान किस प्रकार करना चाहिये। निष्कर्ष। इस बात पर विशेष ध्यान दीजिये कि आपका उत्तर पॉइंट टू पॉइंट लिखा हो। परीक्षा भवन में परीक्षक का जितना ध्यान आपके उत्तर के प्रस्तुतिकरण पर होता है उतना ही ध्यान इस बात पर भी होता है कि आप कम-से-कम शब्दों में (एक अधिकारी की तरह) अपनी बात को समाप्त करें। |
रोहिंग्या म्याँमार के रखाईन प्रांत में रहते आ रहे हैं। रोहिंग्या का मुद्दा म्याँमार और बांग्लादेश के बीच विवाद का मुद्दा रहा है। म्याँमार में सदियों से रहते आ रहे रोहिंग्या को वहाँ की सरकार ने नागरिकता से वंचित कर दिया है। इन पर हो रहे लगातार उत्पीड़न के कारण ये बांग्लादेश और भारत आ गए हैं।
जहाँ एक ओर बांग्लादेश और वैश्विक समुदाय इस समस्या के समाधान में भारत की अहम भूमिका चाहते हैं वहीं, दूसरी ओर भारत का गृह मंत्रालय रोहिंग्या मुसलमानों को राष्ट्रीय हित के लिये खतरा मान रहा है और देश से बाहर निकालना चाहता है।
सुझाव:
रोहिंग्या समस्या एक बहुपक्षीय समस्या है। यह भारत की आंतरिक सुरक्षा और आर्थिक एवं राजनीतिक हित को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकती है। अत: भारत के लिये रोहिंग्या समस्या का समाधान करना स्वयं के हित और पड़ोसियों की अपेक्षाओं को संतुलित करने की क्षमता पर निर्भर है। समस्या के दीर्घावधि समाधान के लिये तीनों राष्ट्रों को मिलकर म्याँमार में रोहिंग्याओं की सामाजिक स्थिति में सुधार करना होगा।