भावनात्मक भूख से आप क्या समझते हैं? यह प्रेम से किस प्रकार भिन्न है? वर्तमान समय में समाज में भावनात्मक भूख के बढ़ने के कारणों की जाँच करें। (250 शब्द)
12 Apr, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नभावनात्मक भूख व्यक्ति की ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को प्रबल भावनात्मक सहयोग व समर्थन की ज़रूरत होती है। भावनात्मक भूख के कई कारण हो सकते हैं, जैसे-बचपन में भावनात्मक सहयोग व समर्थन का अभाव, सामाजिक संपर्कों से अलगाव, किसी से बिछड़ने का दर्द अथवा अलगाव की लंबी अवधि आदि। प्राय: लोग भावनात्मक भूख तथा प्रेम को समानार्थी समझने की भूल करते हैं, परंतु दोनों में काफी अंतर है जिसे हम निम्नलिखित रूपों में देख सकते हैं-
प्रेम में व्यक्ति अपने साथी की भावनाओं का समर्थन करता है और उसके व्यक्तित्व को निखारने में सहायता करता है, जबकि भावनात्मक भूख में व्यक्ति का पूरा संकेंद्रण स्वयं पर होता है और उसे साथी की भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं होता है।
भावनात्मक भूख व्यक्ति के भावनात्मक इच्छाओं के दमन के कारण उत्पन्न होती है, जबकि प्रेम एक प्राकृतिक व नैसर्गिक इच्छा है।
भावनात्मक भूख के परिणाम रचनात्मक व विध्वंसात्मक दोनों हो सकते हैं, जबकि प्रेम रचनात्मक परिणाम देने वाला होता है।
भावनात्मक भूख लोगों को ‘ओवरप्रोटेक्टिव’ तथा ‘तुनक मिजाजी’ (Touchy) बनाती है, जबकि प्रेम दूसरे की भावनाओं व व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समझते हुए उसे ‘पर्सनल स्पेस’ प्रदान करता है।
समाजशास्त्रियों का मानना है कि वर्तमान में समाज में भावनात्मक भूख पहले की तुलना में बढ़ी है। इसके कारणों में हम निम्नलिखित की गणना कर सकते हैं-
वर्तमान उपभोक्तावादी समय में व्यक्ति-से-व्यक्ति का भावनात्मक लगाव कम हुआ है और मानवीय मूल्यों का पतन हुआ जिसने भावनात्मक बिलगाव की स्थिति उत्पन्न की है।
भिकीय परिवार के विस्तार व माता-पिता दोनों के ‘वर्किंग’ होने के कारण बच्चों को पर्याप्त समय व भावनात्मक सहयोग व समर्थन न मिल पाने के कारण।
तकनीकी पर अत्यधिक निर्भरता ने भी लोगों के सामाजिक जीवन में अलगाव की स्थिति उत्पन्न की है जिससे उनमें एक प्रकार से भावनात्मक शून्यता की स्थिति उत्पन्न हुई है।
गला-काट प्रतियोगिता, मानवीय व सामाजिक मूल्यों का पतन आदि अनेक कारणों ने लोगों को भावनात्मक रूप से एकाकी बना दिया है जिसके परिणामस्वरूप भी लोगों में भावनात्मक भूख बढ़ी है।