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प्रश्न :
जीएसटी के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ एक संशोधित प्रत्यक्ष कर प्रणाली भविष्य में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को तर्कसंगत बनाने में सहायक हो सकती है। देश की विद्यमान कर प्रणाली से जुड़े मुद्दों को ध्यान में रखते हुए चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
12 Apr, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
प्रश्न विच्छेद
• देश में मौजूदा कर व्यवस्था से संबंधित मुद्दों को बताना है।
• अप्रत्यक्ष कर को तर्कसंगत बनाने में जीएसटी के प्रभावी व्रियान्वन की भूमिका तथा प्रत्यक्ष करों को तर्कसंगत बनाने के लिये एक संशोधित प्रत्यक्ष कर प्रणाली की आवश्यकता बतानी है।हल करने का दृष्टिकोण
• कराधान के महत्त्व को बताते हुए उत्तर की शुरुआत करें।
• देश की मौजूदा कर व्यवस्था को संक्षेप में बताते हुए इससे संबंद्ध मुद्दों को बताएँ।
• जीएसटी के महत्त्व एवं इसके प्रभावी व्रियान्वयन की आवश्यकता को बताएँ।
• संशोधित प्रत्यक्ष कर प्रणाली की आवश्यकता बताएँ।
• अंत में निष्कर्ष लिखें।कराधान किसी भी देश की राजकोषीय आय का प्रमुख स्रोत होता है। भारत जैसे विकासशील देशों में कल्याणकारी योजनाओं के व्रियान्वयन एवं अवसंरचना निर्माण के लिये करों से प्राप्त आय प्रमुख आधार होती है।
देश में मौजूदा कर व्यवस्था दो प्रकार की है- पहला प्रत्यक्ष कर व्यवस्था, जिसके तहत आयकर, निगमकर एवं संपत्ति कर आदि आते हैं। दूसरा अप्रत्यक्ष कर जिसमें सीमा शुल्क, बिव्री कर, सेवा कर, मनोरंजन कर इत्यादि शामिल हैं, और वर्तमान में लगभग सभी को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के अतंर्गत शामिल कर लिया गया है।
यद्यपि भारतीय कर व्यवस्था में समय-समय पर परिवर्तन किये जाते रहे हैं फिर भी मौजूदा कर व्यवस्था से संबंधित निम्नलिखित मुद्दे हैं-
- कर चोरी, जिससे काले धन का सृजन होता है एवं ईमानदार करदाता हतोत्साहित होते हैं।
- कर आधार का सीमित होना, जिसका कारण संभावित करदाताओं की तुलना में वास्तविक करदाताओं की संख्या का कम होना है।
- जटिल टैक्स संरचना एवं विविध कर कानूनों का होना जिससे कर आतंकवाद की समस्या उत्पन्न होती है।
- कर संग्रहण की राशि का साल-दर-साल बढ़ते जाना।
- कर मुक्त आय से संबंधित प्रावधानों की अस्पष्टता।
जहाँ तक जीएसटी की बात है तो यह अब तक का सबसे बड़ा सुधार है, जिसे 1 जुलाई, 2017 से लागू किया गया है। ‘‘वन नेशन, वन मार्केट, वन टैक्स’’ की अवधारणा पर आधारित यह गंतव्य आधारित कर प्रणाली है। इससे उपभोक्ताओं को अब एक ही टैक्स देना पड़ रहा है और इसके प्रभाव दिखने भी लगे हैं। जून और जुलाई, 2017 के बीच 6.6 लाख ऐसी नई कंपनियों ने जीएसटी के लिये अपना पंजीकरण कराया है, जो पहले कर ढाँचे से बाहर थीं। इससे औपचारिक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है तथा कर संग्रहण पूर्णत: इलेक्ट्रॉनिक होने के कारण कर संग्रहण खर्चे में भी कमी आने की संभावना है। अत: इसकी सफलता इसके प्रभावी व्रियान्वन पर निर्भर करेगी, जो अप्रत्यक्ष करों को तर्कसंगत बनाने में सहायक होगा।
प्रत्यक्ष कर के संबंध में सरकार की नीति कर दरों को कम स्तर पर बनाए रखते हुए तथा रियायतों को व्रमश: समाप्त करते हुए कर आधार को व्यापक बनाने तथा अधिकाधिक लोगों को कर ढाँचे में शािमल करने की रही है। प्रत्यक्ष कर सुधारों से संबंधित सरकार ने अभी हाल ही में ईश्वर पैनल समिति का गठन किया था।
ईश्वर पैनल के अनुसार वर्तमान प्रत्यक्ष कर प्रणाली को जटिल, अव्यवस्थित एवं वर्तमान आयकर कानून के कुछ प्रावधानों को वर्तमान आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति में अप्रांसगिक मानते हुए संशोधित प्रत्यक्ष कर प्रणाली की सिफारिश की ताकि मौजूदा प्रत्यक्ष कर व्यवस्था को प्रासंगिक बनाया जाए।
निष्कर्षत: कह सकते हैं कि अप्रत्यक्ष करों को तर्कसंगत बनाने के लिये जीएसटी को लागू किया जा चुका है, जिसके प्रभावी व्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये सरकार कई स्तरों पर कार्य कर रही है। इसी तरह एक संशोधित प्रत्यक्ष कर प्रणाली लाकर प्रत्यक्ष कर को भी तर्कसंगत बनाना चाहिये, ताकि कराधान प्रणाली को देश के विकास में महत्त्वपूर्ण बनाया जा सके।
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