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प्रश्न :
प्रेरणा क्या है? नैतिक प्रेरणा के स्रोतों की स्पष्ट चर्चा कीजिये।
09 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में प्रेरणा को स्पष्ट करें।
- तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में नैतिक प्रेरणा के स्रोतों की स्पष्ट चर्चा करें।
मनोविज्ञान की भाषा में प्रेरणा शब्द का अर्थ है ‘ऊर्जा डालना’ या ‘प्राण फूँकना’। ऊर्जस्विता का यह विचार, कर्म या घटनाओं के माध्यम से किसी दूसरे मस्तिष्क को जब एक सिहरन या स्पंदन देता है, तो दूसरे मस्तिष्क की जड़ता में प्राणवायु का संचार होने लगता है और प्रेरित व्यक्ति अनुप्राणित-सा महसूस करने लगता है। दूसरे शब्दों में प्रेरणा एक प्रकार की ‘खींचने और धकेलने’ की स्थिति है, जो मस्तिष्क में हलचल पैदा करती है।
नैतिकता एक वांछनीय मानव क्रिया है और नैतिकता की प्रेरणा केवल आदर्श व्यक्ति ही दे सकता है, फिर भी नैतिकता के मूलतः तीन प्रेरणास्रोत माने जाते हैं : - (1) व्यक्ति, (2) विचार, (3) घटनाएँ।
- व्यक्ति - यह उत्प्रेरक व्यक्ति, नेता, सुधारक, विचारक, या प्रशासक कोई भी ऐसा व्यक्ति हो सकता है जो दूसरों के सामने सदाचार का एक आदर्श उपस्थित करता है। एक विचारक के रूप में वह बहुत-सी बातें कहता रहता है, पुस्तकों के माध्यम से उन्हें लिखित में भी छोड़ता है तथा अपने उपदेशों और सुधार कार्यों के माध्यम से दूसरों को यह संदेश देता है कि यदि वे चाहें तो वैसा ही कर सकते हैं। वह ऐसा न भी कहे तब भी लोग उसे देखते हैं, सुनते हैं और पढ़ते भी रहते हैं। ऐसा व्यक्ति परिचित और अपरिचित बहुत से लोगो के लिये प्रेरणादायक बन जाता है।
- विचार - एक उत्प्रेरक व्यक्ति ऐसा नागरिक, कर्मचारी, अनुयायी या कार्यकर्त्ता हो सकता है, जो किसी वरिष्ठ अधिकारी, आदर्श महापुरुष या समाज सुधारक के पीछे चलते हुए, उसके द्वारा आदेशित विचारों या शिक्षाओं को आगे बढ़ाए रखना चाहता है। यह व्यक्ति अनुगामियों के बिना भी जाने-अनजाने में अपने प्रेरणा स्रोत के आदर्शों का अनुकरण करता रहता है। यह उत्प्रेरित व्यक्ति अपने प्रेरणादाता से जो कुछ लेता है, उसे वह समाज को अपने ढंग से लौटाता भी रहता है।
- घटनाएँ - प्रेरणा के मूल स्रोत तो विचार ही होते हैं, पर बहुत से विचारक, सुधारक और प्रशासक इन विचारों को मूर्तिमान करते-करते स्वयं विचार का साकार रूप लगने लग जाते हैं। विचारों के इस मानवीकरण से इन लोगों के जीवन की विविध घटनाएँ भी लंबे समय तक प्रेरणास्पद बनी रहती हैं। प्रेरणा लेने वाले लोग उन सद्गुणों के पक्ष को उसके जीवन की घटनाओं में ढूंढते हैं और उनसे शिक्षा लेते हुए अपनी नैतिकता की शैली को मज़बूत बनाते रहते हैं।
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