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प्रश्न :
स्वामी विवेकानंद का संक्षिप्त जीवन परिचय दें। (250 शब्द)
25 Mar, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
भूमिका - स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को नरेंद्र नाथ दत्त के रूप में कलकत्ता के एक कुलीन परिवार में हुआ था। 1881 में इन्होंने ललित कला की परीक्षा उत्तीर्ण की और 1884 में कला स्नातक की डिग्री पूरी कर ली।
दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य जैसे कई क्षेत्रों में रूचि होने से उन्हें वेद, उपनिषद्, भगवद्गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त अनेक हिन्दू शास्त्रों के गहन अध्ययन की प्रेरणा मिली। वह रामकृष्ण परमहंस के मुख्य शिष्य थे। उन्होंने 1897 में अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इस संस्था ने भारत में व्यापक शैक्षिक और जनकल्याणकारी कार्य किये। धर्म, शिक्षा, चेतना और राष्ट्रवाद पर उनके विचारों ने युवाओं को बहुत प्रभावित किया। उन्होंने 1893 में शिकागो (यू.एस.) में आयोजित पहले धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
स्वामी विवेकानंद के दर्शन के मुख्य मूल्य एवं तथ्य -
- विवेकानंद के अनुसार, नैतिकता एक आचार संहिता है जो आदमी को एक अच्छा नागरिक बनने में मदद करती है। हमें शुद्ध होना चाहिये क्योंकि पवित्रता हमारा वास्तविक स्वभाव है।
- उनका मानना था कि प्रत्येक धर्म ने सर्वोच्च स्वतंत्रता, सर्वोच्च ज्ञान, सर्वोच्च खुशी के लिये एक मार्ग का प्रस्ताव दिया है।
- स्वामी विवेकानंद ने हमारी मातृभूमि के उत्थान के लिये शिक्षा पर सबसे अधिक जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा की प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिये कि यह छात्रों को अपने सहज ज्ञान और शक्ति को प्रकट करने में मदद करे। वह आधुनिक विज्ञान के तरीकों और परिणामों के साथ पूरी तरह से सहमत थे। हालाँकि उन्होंने अंतःप्रज्ञा (Intuition) को तार्किक ज्ञान (Reason) से बेहतर माना।
- उनका राष्ट्रवाद मानवतावाद और सार्वभौमिकता पर आधारित है, इसमें भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं। पश्चिमी राष्ट्रवाद के विपरीत, जो कि प्रकृति में धर्मनिरपेक्ष है, स्वामी विवेकानंद का राष्ट्रवाद धर्म पर आधारित है और भारतीय लोगों का जीवन रक्त है।
- स्वामी विवेकानंद ने युवाओं से आह्यवान किया कि वे न केवल अपनी मानसिक बल्कि शारीरिक क्षमताओं का भी निर्माण करें। 12 जनवरी को उनके जन्मदिवस पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाया जाता है और उस दिन से शुरू होने वाले सप्ताह को ‘राष्ट्रीय युवा सप्ताह’ के रूप में जाना जाता है।
निष्कर्ष- अंत में संक्षिप्त,संतुलित और सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
संक्षेप में कहा जा सकता है की स्वामी विवेकानंद के विचार और सुझाव आज भी युवाओं के लिये प्रासंगिक हैं और एक सशक्त राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। उनके द्वारा दिए गए व्याख्यान और उनके द्वरा बनाये गए संस्थान आज भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में हमारे देश के विकास में मार्गदर्शन कर रहें हैं।
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