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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    चुनाव आयोग द्वारा लागू की जाने वाली आदर्श आचार संहिता (Model code of conduct) क्या है? इस आदर्श आचार संहिता की कुछ प्रमुख विशेषताएँ बताइये।(250 शब्द)

    23 Mar, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    भूमिका- चुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता लागू हो जाती है और चुनाव परिणाम आने तक जारी रहती है। दरअसल, ये वे दिशा-निर्देश हैं, जिन्हें सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना होता है। इनका उद्देश्य चुनाव प्रचार अभियान को निष्पक्ष एवं साफ-सुथरा बनाना और सत्ताधारी दलों को गलत फायदा उठाने से रोकना है। इस आचार संहिता में प्रचार, रैली, मतदान केंद्र, सत्तारूढ़ दल और घोषणापत्र संबंधी महत्त्वपूर्ण दिशा-निर्देश होते हैं। यह आदर्श आचार संहिता किसी कानून के तहत नहीं बनी है, बल्कि यह सभी राजनीतिक दलों की सहमति से बनी और विकसित हुई है। सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के तहत बताया गया कि क्या करें और क्या न करें। 1962 के लोकसभा चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने इस संहिता को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में वितरित किया। इसके बाद 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पहली बार राज्य सरकारों से आग्रह किया गया कि वे राजनीतिक दलों से इसका अनुपालन करने को कहें।

    आदर्श आचार संहिता की विशेषताएँ- यह विशेषताएँ दिशानिर्देशों से प्रभावित होती हैं जो निम्नलिखत हैं-

    सामान्य आचरण हेतु दिशानिर्देश- वर्तमान में संचालित आदर्श आचार संहिता में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के सामान्य आचरण के लिये दिशा-निर्देश दिये गए हैं। इनके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी तरह से सांप्रदायिक, धार्मिक, भाषाई जैसे मतभेदों को बढ़ाने वाली कोई अपील करने पर भी पाबंदी लगाई गई है।

    प्रतिबंध से जुड़े दिशानिर्देश- आदर्श आचार संहिता लागू होते ही राज्य सरकारों और प्रशासन पर कई तरह के प्रतिबंध लग जाते हैं।

    सत्ताधारी दल हेतु दिशानिर्देश- इनमें सरकारी तंत्र और सुविधाओं का उपयोग चुनाव के लिये न करने और मंत्रियों तथा अन्य अधिकारियों द्वारा अनुदानों, नई योजनाओं आदि की घोषणा करने की मनाही है।

    • मंत्रियों तथा सरकारी पदों पर तैनात लोगों को सरकारी दौरे में चुनाव प्रचार करने की इजाजत नहीं होती है।
    • सरकारी पैसे का इस्तेमाल कर विज्ञापन जारी नहीं किये जा सकते हैं। यदि कोई सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी किसी राजनीतिक दल का पक्ष लेता है तो चुनाव आयोग को उसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।
    • हैलीपैड, बैठक स्थल, सरकारी बंगले, सरकारी अतिथिगृह जैसी सार्वजनिक जगहों पर कुछ उम्मीदवारों का कब्जा नहीं होना चाहिये। इन्हें सभी उम्मीदवारों को समान रूप से मुहैया कराना होगा।

    जुलूस एवं सभाओं हेतु दिशानिर्देश- चुनाव सभाओं में अनुशासन और शिष्टाचार कायम रखने तथा जुलूस निकालने के लिये भी दिशानिर्देश दिए गए हैं। किसी उम्मीदवार या पार्टी को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिये चुनाव आयोग से पूर्व-अनुमति लेनी होगी तथा इसकी जानकारी निकटतम थाने में देनी होगी।

    चुनाव घोषणापत्र पर दिशानिर्देश- सुप्रीम कोर्ट ने 5 जुलाई 2013 को ‘सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार और अन्य वाद’ के अपने फैसले में चुनाव आयोग को चुनाव घोषणापत्रों की सामग्री के संबंध में सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के परामर्श से दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दिया।

    मतदान दिवस हेतु दिशानिर्देश- शांतिपूर्ण और व्यवस्थित मतदान सुनिश्चित करने और मतदाताओं को किसी भी बाधा के बिना अपने मताधिकार का प्रयोग करने की पूर्ण स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों के साथ सभी सहयोग करें और यह सुनिश्चित करें कि उम्मीदवारों के शिविर सरल होंगे। वे किसी भी पोस्टर, झंडे, प्रतीक या किसी अन्य प्रचार सामग्री को प्रदर्शित नहीं करेंगे। शिविरों में किसी भी खाद्य पदार्थ या भीड़ की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    मतदान केद्र से जुड़े दिशानिर्देश- मतदाताओं को छोड़कर कोई भी व्यक्ति चुनाव आयोग से वैध ‘पास’ के बिना मतदान केंद्रों में प्रवेश नहीं करेगा।

    प्रेक्षकों से जुड़े दिशानिर्देश- चुनाव आयोग पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है। यदि उम्मीदवारों या उनके कार्यकर्ताओं के पास चुनाव के संचालन के संबंध में कोई विशेष शिकायत या समस्या है, तो वे प्रेक्षक के ध्यान में ला सकते हैं।

    निष्कर्ष- विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का चुनाव सबसे बड़ी चुनौतियों से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में आदर्श चुनाव संहिता और उनसे जुड़े दिशानिर्देश की भूमिका अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण हो जाती है। इसके सफल क्रियान्वयन हेतु सतर्क नागरिक सहभागिता, न्यायोचित राजनीतिक दलों की गतिशीलता एवं चुनाव आयोग तथा तत्संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की सतर्कता सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।

    नोट- क्या आदर्श आचार संहिता कानूनन बाध्यकारी है ?

    अभी तक आदर्श आचार संहिता कानूनन बाध्यकारी नहीं है हालाँकि भारतीय दंड संहिता, 1860, आपराधिक अचार संहिता, 1973, और जन प्रतिनिधि अधिनियम 1951 से जुड़े विधियों के माध्यम से आदर्श आचार संहिता के कुछ प्रावधान लागू किए जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने अदालती कार्रवाई में होने वाली देरी का हवाला देते हुए आदर्श आचार संहिता को कानूनन बाध्यकारी नहीं करने की सिफारिश की है। संसद की एक स्थायी समिति द्वारा आचार संहिता को कानूनन बाध्यकारी करने की सिफारिश करने के साथ ये भी कहा गया कि आचार संहिता को जनप्रतिनिधि कानून का हिस्सा बनाया जाये।

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