‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति’ के बारे में एक सांक्षिप्त विवरण दें। इस संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी चर्चा करें। (250 शब्द)
उत्तर :
भूमिका- साइबर खतरों को भाँपते हुए भारत सरकार ने छह साल पहले वर्ष 2013 में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति जारी की थी, जिसमें देश की साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढाँचे की रक्षा के लिये प्रमुख रणनीतियों को अपनाने की बात कही गई थी। इन नीतियों के तहत देश में 24 घंटे काम करने वाले एक नेशनल क्रिटिकल इन्फॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (NCIIPC) की स्थापना शामिल है, जो देश में महत्त्वपूर्ण सूचना तंत्र के बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा के लिये एक नोडल एजेंसी के रूप में काम कर सके।
मुख्य विशेषताएँ –
- इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन का सुरक्षित माहौल तैयार करना, विश्वास और भरोसा कायम करना तथा साइबर जगत की सुरक्षा के लिये हितधारकों के कार्यों में मार्गदर्शन करना।
- देश में सभी स्तरों पर साइबर सुरक्षा के मुद्दों से निपटने के लिये व्यापक, सहयोगात्मक और सामूहिक कार्रवाई हेतु रूपरेखा तैयार करना।
- इस नीति में ऐसे उद्देश्यों और रणनीतियों की आवश्यकता को मान्यता दी गई है जिन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जाने की आवश्यकता है।
- इस नीति का विज़न और मिशन नागरिकों, व्यवसायियों एवं सरकार के लिये साइबर जगत को सुरक्षित तथा लचीला बनाना है।
- साइबर हमलों से राष्ट्र को सुरक्षित बनाने और खामियाँ दूर करने का लक्ष्य तय करना।
- देश के अंदर सभी हितधारकों के बीच सहयोग और समन्वय बढ़ाना।
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा विज़न और मिशन के समर्थन में उद्देश्य एवं रणनीति तय करना।
- ऐसी पहल और रूपरेखा तैयार की गई है जो सरकार के स्तर पर और क्षेत्र स्तर पर सरकारी-निजी भागीदारी के माध्यम से आगे बढ़ाई जा सकती है।
- इससे साइबर सुरक्षा अनुपालन, साइबर हमले, साइबर अपराध और साइबर बुनियादी ढाँचे जैसे रुझानों की राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी की जा सकेगी।
निष्कर्ष- साइबर दुनिया से संबंधित गतिविधियों में निरंतर वृद्धि होती जा रही है जिसका सकारात्मक प्रयोग करके सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम लाए गए और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण जैसे कार्यक्रम का प्रयोग कर दूरदराज़ के लोगों तक आर्थिक सहयोग पहुँचाया जा रहा है किंतु साइबर तकनीकों का दुरुपयोग करके हैकिंग और फिशिंग (PHISHING) जैसी नकारात्मक गतिविधियों का प्रयोग भी बढ़ा है। ऐसे में साइबर सुरक्षा नीति की भूमिका और क्रियाशीलता दोनों ही वांछनीय हैं।
नोट - सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदम -
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धाराएँ 43, 43A, 66, 66B, 66C, 66D, 66E, 66F, 67, 67A, 67B, 70, 72, 72A तथा 74 हैकिंग और साइबर अपराधों से विशेष रूप में संबंधित हैं।
- सरकार ने साइबर सुरक्षा से संबंधित फ्रेमवर्क का अनुमोदन किया है। इसके लिये राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
- राष्ट्रीय विशिष्ट अवसंरचना और विशिष्ट क्षेत्रों में साइबर सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी अनुसंधान संगठन को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
- साइबर सुरक्षा के खतरों का विश्लेषण करने, अनुमान लगाने और चेतावनी देने के लिये भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया टीम (CERT-IN) को नोडल एजेंसी बनाया गया।
- साइबर अपराधों को लेकर गृह मंत्रालय ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
- गृह मंत्रालय ‘महिला व बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर अपराधों की रोकथाम’ के लिये कार्यक्रम चला रहा है।
- फोन पर होने वाली धोखाधड़ी से निपटने के लिये गृह मंत्रालय ने अंतर-मंत्रालय समिति का गठन किया है। इसके अलावा राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिये दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं।