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(a) आकांक्षी जिला कार्यक्रम
(b) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण
आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम: देश के कम विकसित क्षेत्रों में लोगों के जीवन में समयबद्ध तरीके से बदलाव लाने के लिये यह कार्यक्रम जनवरी 2018 में आरंभ किया गया। भारत में परिवर्तन सुनिश्चित करने हेतु संस्थान-नीति आयोग द्वारा तैयार इस कार्यक्रम का उद्देश्य 115 सर्वाधिक पिछड़े ज़िलों का कायाकल्प करना है। इन ज़िलो में विशेष रूप से स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षण, कृषि और जल प्रबंधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास पर ध्यान दिया जाना है। आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम एक ऐतिहासिक पहल है, जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रयासों से प्रशासन संबंधी मुद्दों का समाधान करना है। इन प्रयासों में दूरदर्शिता और ज़िला योजना, पर्याप्त संस्थागत व्यवस्था, सभी पक्षों के प्रयासों में तालमेल और विभिन्न ज़िलों के बीच रैंकिंग आधारित प्रतियोगिता के माध्यम से उनमें विकास की इच्छा और तत्परता की भावना को जागृत करना है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण: प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (सरकार से लाभार्थी तक) योजना का उद्देश्य ऐसा प्रशासन तंत्र विकसित करना है, जिसमें लोगों को सरल और अनुकूल प्रशासन मिल सके तथा पात्र व्यक्ति और परिवारों तक स्वतंत्र, पारदर्शी, कुशल तथा विश्वसनीय तरीके से लाभों का सीधे हस्तांतरण हो सके। नीति आयोग द्वारा तैयार इस कार्यक्रम का उद्देश्य 115 सर्वाधिक पिछड़े ज़िलों का कायाकल्प करना है। इन ज़िलों में विशेष रूप से स्वास्थ एवं पोषण, शिक्षण, कृषि तथा जल प्रबंधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास पर ध्यान दिया जाना है। आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम एक ऐतिहासिक पहल है, जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रयासों से प्रशासन संबंधी मुद्दों का समाधान करना है। इन प्रयासों में दूरदर्शिता और ज़िला योजना, पर्याप्त संस्थागत व्यवस्था, सभी पक्षों के विभिन्न लाभों को प्राप्त करने में सहायक हैं। सबसे पहले तो यह लाभ हस्तांतरण के विभिन्न स्तरों को समाप्त करती है, दूसरा; यह भुगतान में हाने वाले विलंब की समस्या को दूर करती है और तीसरी बात, यह कि इससे सीधे सही लाभार्थी तक पहुँचने में मदद मिलती है और हस्तांरण में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण व्यवस्था से हस्तांतरित कुल राशि का योग 6 लाख करोड़ से भी अधिक हो चुका है। दिसंबर 2018 तक इससे अनुमानित बचत, 1.1 लाख करोड़ तक पहुँच चुकी है। इसमें सबसे बड़ी बचत रसोई गैस योजना के तहत (`56,391 करोड़), र्साजनिक वितरण प्रणाली (`30,303 करोड़) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कार्यक्रम के तहत (`19,765 करोड़) हुई है। आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभों तथा सेवाओं के लक्षित हस्तांतरण के लिये) अधिनियम 2016 लागू हो जाने के बाद इस पहल को काफी बढ़ावा मिला है।