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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    अंतर्राष्ट्रीय नागरिक विमानन नियम सभी देशों को उनके भू-भाग के आकाशीय क्षेत्र (एयरस्पेस) पर पूर्ण और अनन्य प्रभुता प्रदान करते हैं। आप आकाशीय ‘क्षेत्र’ से क्या समझते हैं? इस आकशीय क्षेत्र के ऊपर के आकाश के लिये इन नियमों के क्या निहितार्थ हैं? इससे उत्पन्न् चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और खतरों पर नियंत्रण पाने के तरीके सुझाइये। (250 शब्द)

    13 Mar, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    भूमिका:

    ‘आकाशी क्षेत्र’ एक देश के भू-क्षेत्र और उसके प्रादेशिक जल क्षेत्र के ऊपर के संप्रभु वायुमंडल को संदर्भित करता है, जो उस देश के द्वारा नियंत्रित होता है। अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन नियम इन्हीं आकाशी क्षेत्रों में नागरिक विमानों के संचालन से संबंधित है।

    विषय-वस्तु

    ध्यान देने योग्य बात यह है कि विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन कानूनों (या नियमों) के अंतर्गत ‘आकाशी क्षेत्र’ (Airspace) के क्षैतिज विस्तार को किसी देश की तटरेखा से 12 समुद्री मील तक माना गया है, किंतु इस तरह का निर्धारण आकाशी क्षेत्र की उर्ध्वाधर (Vertical) सीमा के संदर्भ में नहीं किया गया है। हालाँकि ‘इंटरनेशनल एयरोनॉटिकल पेडरेशन द्वारा लगभग 100 कि.मी. की ऊँचाई पर एक काल्पनिक रेखा (कारमन रेखा) को तथा अमेरिका द्वारा 80 कि.मी. की ऊँचाई को ‘आकाशी क्षेत्र’ की उर्ध्वाधर सीमा माना गया है, किंतु यह केवल एक मानक (Benchmark) के तौर पर है। इस संदर्भ में कानूनी मान्यता प्राप्त सार्वभौमिक स्वीकृति पर आधारित कोई निर्धारण नहीं हैं।

    प्रारंभ में यह माना जाता था कि किसी देश का ‘आकाशी क्षेत्र’ उर्ध्वाधर रूप में असीमित ऊँचाई तक विस्तृत है, किंतु 1950 और 1960 के दशक में अंतरिक्ष क्षेत्र में हुए विकास के पश्चात् ‘बाह्य अंतरिक्ष (Outer Space) संधि’ की अवधारणा सामने आई। बाह्य अंतरिक्ष के नियमन की आवश्यकता को देखते हुए 1967 में ‘बाह्य अंतरिक्ष संधि’ लाई गई। यह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून हेतु मूलभूत ढाँचा प्रदान करती है। संधि में यह कहा गया कि ‘बाह्य अंतरिक्ष’ सभी राष्ट्रों की खोज के लिये स्वतंत्र है तथा राष्ट्रीय संप्रभुता के अधीन नहीं है। यह संधि ‘बाह्य अंतरिक्ष’ में परमाणु हथियारों की तैनातों पर भी रोक लगाती है। किंतु अंतर्राष्ट्रीय कानूनों/समझौतों के अंतर्गत ‘आकाशी क्षेत्र (Airspace) तथा ‘बाह्य अंतरिक्ष’ (Outer Space) के बीच किसी सीमा के निर्धारण का प्रयास नहीं होने के कारण एक अस्पष्टता की स्थिति उत्पन्न होती है। इस अस्पष्टता का दुरुपयोग अनेक राष्ट्रों द्वारा किया जाता है, जो अन्य राष्ट्रों की संप्रभुता एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा और चुनौती प्रस्तुत करता है। उदाहरणस्वरूप अमेरिका का एक अंतरिक्षयान नीचे उतरने के क्रम में कनाडा के आकाश में 80 कि.मी. ऊँचाई तक पहुँच गया था और इसके लिये कनाडा की अनुमति भी नहीं ली गई थी।

    निष्कर्ष

    अत: इस संदर्भ में उत्पन्न चुनौतियों के खतरों के समाधान के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नागर विमानन संबंधीत कानूनों में स्पष्टता की आवश्यकता है। इसके लिये ऐसे कानूनों, समझौतों को लागू किया जाना चाहिये जो वैश्विक सहमति के आधार पर निर्मित हुए हों।

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