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प्रश्न :
‘‘यूरोपियन प्रतिस्पर्द्धा की दुर्घटनाओं द्वारा अफ्रीका को कृत्रिम रूप से निर्मित छोटे-छोटे राज्यों में काट दिया गया।’’ विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
13 Mar, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
भूमिका:
1870 के पश्चात् साम्राज्यवाद का नया दौर प्रारंभ हुआ तथा अप्रीका सहित एशिया तथा दक्षिण अमेरिका के देश इसके शिकार बने। यूरोप में यह काल औद्योगिक क्रांति के विस्तार का काल था। यूरोप के कारखानों को सस्ते श्रमिक, कच्चे माल तथा इससे तैयार माल बेचने के लिये एक बड़े बाज़ार की आवश्यकता थी। अप्रीका इसके लिये सबसे उपयुक्त क्षेत्र के रूप में देखा गया और अंतत: यूरोपीय औपनिवेशिक देशों द्वारा अप्रीका को कई छोटे-छोटे कृत्रिम भू-भागों में बाँट दिया गया।
विषय-वस्तु
अप्रीका में राज्य या राज्यों के सीमांत नहीं हुआ करते थे। सभी साम्राज्यवादी ताकतों के सामने मैदान खुला हुआ था। वे जहाँ तक चाहें अप्रीकी क्षेत्रों पर अपना दावा स्थापित कर सकते थे। इस प्रकार अप्रीका में साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्द्धा शुरू हो गई और अब इस प्रतिस्पर्द्धा में जर्मनी और इटली जैसे नवीन साम्राज्यवादी देश भी शामिल हो चुके थे।
सर्वप्रथम बेल्जियम के शासक लियोपोल्ड-II ने अप्रीका के संसाधनों से लाभ उठाने के लिये 1876 में ब्रूसेल्स में एक सम्मेलन आयोजित किया। इसके पश्चात् उसके प्रतिनिधियों ने अप्रीका के मध्यवर्ती क्षेत्रों में वहाँ के क्षेत्रीय सरदारों से संधि पत्र पर हस्ताक्षर करवाकर उन पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। इस गतिविधि से अन्य यूरोपीय राष्ट्र जैसे ब्रिटेन और पुर्तगाल ने कांगो नदी पर नियंत्रण के लिये एक संयुक्त आयोग की स्थापना की।
1885 के बर्लिन सम्मेलन में अप्रीका में साम्राज्यवादी प्रसार के संदर्भ में कुछ निर्देश रेखाएँ निर्धारित की गईं। इसके अनुसार जिस यूरोपीय देश के अधिकार में अप्रीका का कोई तटवर्ती क्षेत्र होगा, उसे उस क्षेत्र के भीतरी इलाकों को अधिकृत करने में प्राथमिकता मिलेगी। प्रत्येक देश को अन्य देशों को अधिसूचित करना था कि वह किन इलाकों को अपना अधिग्रहण क्षेत्र मानता है। इस व्यवस्था का परिणाम यह हुआ कि वास्तविक अधिग्रहण के लिये अंधी दौड़ शुरू हो गई। मात्र पंद्रह वर्षों में अप्रीकी महादेश के क्षेत्रों का (कुछ एक अपवादों को छोड़कर) यूरोपीय साम्राज्यवादी राष्ट्रों के मध्य बँटवारा हो गया। इसके बाद प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी एवं उसके सहयोगी देशों की हार के बाद उनके उपनिवेशों का विभाजन एवं अधिग्रहण मित्र देशों द्वारा अप्रीका के नक्शे का लंबवत एवं क्षैतिज रेखाओं द्वारा कर दिया गया। इसी संदर्भ में कहा जाता है कि अप्रीका का विभाजन ‘टेबल पर कैंचियों के सहारे’ कर दिया गया।
निष्कर्ष
इस प्रकार यूरोपीय साम्राज्यवादी देश अप्रीका के भू-भाग पर कब्जा करके उसे अपनी सुविधानुसार कृत्रिम रूप से बाँटते गए। 20वीं सदी में जब ये उपनिवेश स्वतंत्र हुए तो वे उसी रूप में छोटे-छोटे देशों के रूप में सामने आए और इसी कृत्रिम बँटवारे का ही परिणाम है कि अप्रीका में आज भी जनजातीय संघर्ष विद्यमान है। अत: स्पष्ट है कि यूरोपीय प्रतिस्पर्द्धा की दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप अप्रीका में कृत्रिम रूप से छोटे-छोटे राज्यों का उदय हुआ।
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