स्वतंत्र थिंकटैंक ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज़’ (आईआईएसएस) द्वारा आयोजित 17वीं शांगरी-ला वार्त्ता के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को उद्घृत कीजिये।
उत्तर :
भूमिका:
सिंगापुर में आयोजित 17वीं शांगरी-ला वार्त्ता में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और समृद्धि के प्रति अपना दृष्टिकोण व्यक्त किया था। शांगरी-ला वार्त्ता को सामरिक एवं रक्षा मामलों पर चर्चा के लिये एशिया का महत्त्वपूर्ण सम्मेलन माना जाता है।
विषय-वस्तु
विषय-वस्तु के मुख्य भाग में भारत से संबंधित शांगरी-ला वार्त्ता के मुख्य पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे-
- चीन के संदर्भ में: भारत और चीन ने हमेशा ही मुद्दों के प्रबंधन तथा शांतिपूर्ण सीमा सुनिश्चित करने के मामलों में परिपक्वता एवं बुद्धिमता का परिचय दिया है। हालाँकि विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की आलोचना भी की गई।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में: स्पर्धा को संघर्ष में परिवर्तित होने से रोकने की बात कही गई साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा नियम आधारित व्यवस्था के क्षेत्र में विकसित करने पर बल दिया गया।
- दक्षिण चीन सागर के पड़ोसी राष्ट्रों के संदर्भ में: संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ-साथ सभी राष्ट्रों की समानता को ध्यान रखने की बात कही गई। ये नियम एवं मानक सभी की सम्मति पर आधारित होने चाहिये, न कि कुछ चुनिंदा ताकतों पर।
- आसियान के संदर्भ में: हिंद-प्रशांत के भविष्य को आसियान देशों पर निर्भर बताया गया। अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत समुद्र एवं वायु में साझा स्थलों के उपयोग के लिये सभी के पास समान अधिकार होने चाहिये। इसके तहत नौवहन की स्वतंत्रता, अबाधित वाणिज्य तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता होगी। साथ ही वस्तुओं और सेवाओं में बढ़ते संरक्षणवाद पर भी चिंता जतायी गई।
निष्कर्ष
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-