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प्रश्न :
भारत-नेपाल संबंधों की पुनर्स्थापना के कई प्रयासों के बावजूद दोनों पड़ोसी देशों का परस्पर संबंध चिंता का कारण बना हुआ है। बिम्स्टेक देशों के प्रथम सैन्य अभ्यास ‘मिलेक्स-2018’ में नेपाल द्वारा अपनी सेना को भेजने से इनकार किया जाना क्या इस चिंता को और मज़बूत बनाता है? चर्चा कीजिये।
02 Mar, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
भूमिका:
वर्ष 2015 में नेपाल में नए संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भारत-नेपाल की सरकारों के बीच गतिरोध आरंभ हुआ था। पिछले दिनों बिम्स्टेक की सहयोगात्मक बैठक के दौरान यह गतिरोध और भी मुखर रूप में देखने को मिला।
विषय-वस्तु
गतिरोध के कारण
- वर्तमान में नेपाल द्वारा भारत में आयोजित बिम्स्टेक देशों के प्रथम सैन्य अभ्यास ‘मिलेक्स-2018’ में अपनी सेना भेजने से इनकार करना एवं अंतिम समय में केवल पर्यवेक्षक को भेजना।
- नेपाल ने भारत सरकार पर बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन के दौरान बहुपक्षीय अभ्यास के लिये ‘एकपक्षीय’ घोषणा का आरोप लगाया।
- उल्लेखनीय है कि नेपाल ने 2018 में चीन के सिचुआन प्रांत में माउंट एवरेस्ट मैत्री अभ्यास में भाग लिया था, जो आतंकवाद विरोधी ड्रिल पर केंद्रित था। नेपाल के इस कदम को भारत-नेपाल रिश्तों में बाधा के रूप में देखा गया।
- बिम्सटेक- मिलेक्स-18 के समान समारोह में दिया गया यह बयान कि भूगोल यह सुनिश्चित करेगा कि भूटान और नेपाल जैसे देशों का झुकाव किस ओर होगा, भी इनमें भारत के प्रति अविश्वास का भाव भर सकता है।
भारत का पक्ष
- भारत ने हमेशा नेपाल के साथ संबंधों को अहमियत दी है, जिसकी पुष्टि भारतीय प्रधानमंत्री की हालिया नेपाल यात्रा और नेपाल को समर्पित विभिन्न परियोजनाओं से होती है।
- उल्लेखनीय है कि नेपाल में आए भयंकर भूकंप के बाद ऑपरेशन ‘मदद’, भारत और नेपाल को जोड़ती काठमांडू-रक्सौल रेल लिंक परियोजना, पशुपतिनाथ मंदिर में धर्मशाला निर्माण आदि का एकमात्र उद्देश्य दोनों देशों के पारस्परिक संबंधों को बनाए रखना है।
- भारत का मानना है कि सिचुआन प्रांत में चीन के साथ नेपाल के आतंकवाद विरोधी ड्रिल में शामिल होने से भारत एवं नेपाल के संबंधों को कोई हानि नहीं पहुँचेगी।
निष्कर्ष
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-
भारत और नेपाल को यह समझना होगा कि वे सिर्फ एक खुली सीमा ही साझा नहीं करते बल्कि उनके बीच मज़बूत सांस्कृतिक संबंध भी है। साथ ही यह भी ज़रूरी है कि विवाद के मुद्दों को राजनयिक प्रयासों के ज़रिये नई दिल्ली और काठमांडू द्वारा हल किया जाए इसके अलावा दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास को लेकर जन्में विवाद में महत्त्वपूर्ण भू-राजनीति के संदर्भ को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि चीन इस परिस्थिति का लाभ उठाने के लिये सभी कूटनीति प्रयासों को अंजाम ज़रूर देगा।
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