‘‘बहुधार्मिक व बहुजातीय समाज के रूप में भारत की विविध प्रकृति, पड़ोस में दिख रहे अतिवाद के संघात के प्रति निरापद नहीं है।’’ ऐसे वातावरण के प्रतिकार के लिये अपनाई जाने वाली रणनीतियों की विवेचना कीजिये।
28 Feb, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षाभूमिका:
विविध धार्मिक एवं बहुजातीय समाज में कट्टरपंथी एवं अतिवादी विचारों के प्रचार-प्रसार की संभावना हमेशा मौजूद होती है, क्योंकि इन अतिवादी विचारों की बुनियाद ही किसी विशेष धर्म, संप्रदाय एवं जाति के प्रति नफरत पर टिकी होती है। ऐसे में भारत जैसे देश जो संस्कृति एवं धार्मिक विविधता से अत्यंत समृद्ध है, इन अतिवादी विचारों के खतरों के प्रति अत्यधिक सुभेध हो जाते हैं।
विषय-वस्तु
किसी देश के पड़ोस में जब इन विचारों का पोषण और संवर्धन होता है तो ये खतरे और भी बढ़ जाते हैं। भारत के पड़ोसी देशों- पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल इत्यादि में इन अतिवादी विचारों का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। इस्लामिक स्टेट, अलकायदा जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों के लिये ये देश सॉफ्ट टारगेट के रूप में माजने जाते हें। 2016 में ढाका तथा 2017 में पाकिस्तान में हुए हमले इसके उदाहरण के रूप में देखे जा सकते हैं। अन्य छोटे हमले भी प्राय: इन देशों में होते रहते हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अतिवादी विचारों से प्रेरित होते हैं।
सामान्यत: इन अतिवादी विचारों का प्रचार-प्रसार एक रणनीति के तहत किया जा रहा है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी एवं युवाओं का सर्वाधिक दुरूपयोग किया जा रहा है। भारतीय मुख्य एजेंसियों के अनुसार इस्लामिक स्टेट अपनी कुत्सित विचारधाराओं का बांग्लादेश में मज़बूत आधार तैयार करने का प्रयास कर रहा है। इसके लिये वह स्थानीय कट्टरपंथी समूहों एवं युवाओं की सहायता ले रहा है। ऐसा ही प्रयास इस्लामिक स्टेट भारत में भी कर रहा है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र एवं केरल के कुछ युवा इस्लामिक स्टेट से प्रभावित होकर जिहाद में शामिल होने के लिये सीरिया एवं इराक चले गए थे। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में कभी-कभी अतिवादी युवाओं द्वारा इस्लामिक स्टेट के झंडे हमेशा लहराए जाते रहे हैं।
इस प्रकार की परिस्थितियाँ और गंभीर न हों, इसके लिये भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ विशेष प्रयास कर रही है-
निष्कर्ष
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-
अतिवाद एक वैश्विक समस्या है, जिसके समाधान हेतु वैश्विक स्तर पर प्रयास करना होगा। समाज में जागरूकता, प्रशासनिक दक्षता एवं शिक्षा में धर्मनिरपेक्षता का समावेश, पारिवारिक नैतिक मूल्यों का विकास, राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना तथा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का भाव इस समस्या को हल करने में सहायक होगा।