शैक्षिक संस्थानों में नीतिशास्त्र के प्रशिक्षण पर ध्यान न देकर केवल पेशागत ज्ञान को बढ़ावा दिया जा रहा है जबकि नीतिशास्त्र का प्रशिक्षण पेशे से जुड़ी सामाजिक, नैतिक और मानवीय समस्याओं का समाधान करता है। चर्चा कीजिये।
13 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
उत्तर की रूपरेखा
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पेशेवरों में मानवीय मूल्यों के प्रति उदासीनता का कारण उनकी शिक्षा के कार्यक्रमों में नैतिकता और मूल्यों की उपेक्षा है। शैक्षिक संस्थान केवल नवीनतम ज्ञान और कौशल निर्माण पर केंद्रित रहते हैं। लेकिन, कैसे एक नैतिक और ज़िम्मेदार ढंग से इस जानकारी का उपयोग करना है इसका अभाव दिखता है।
दार्शनिकों के अनुसार, नीतिशास्त्र ‘आचरण का विज्ञान’ है। ऐसे मूल्य, जो हमारा मार्गदर्शन करते हैं कि कैसे हमें व्यवहार करना चाहिये, वे ‘नैतिक मूल्यों’ की श्रेणी में आते हैं जैसे-ईमानदारी, निष्पक्षता आदि। इसलिये एक विश्वसनीय काम के माहौल को बढ़ावा देने के लिये नीतिशास्त्र का प्रशिक्षण अत्यधिक आवश्यक है। कभी-कभी वहाँ अवैध और अनैतिक व्यवहार के बीच अक्सर सूक्ष्म अंतर के बारे में भ्रम की स्थिति बन जाती है। उचित प्रशिक्षण प्रत्येक कर्मचारी को सूचनाओं से युक्त रखता है जिससे निर्णयों में त्रुटियों को रोकने में सहायता मिलती है और यह संगठन को नकारात्मक प्रभाव से बचाता है।
एक संगठन की विशेषता है कि वह नैतिकता का एक कोड या आचार संहिता का विकास करता है जैसे- केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का अस्तित्व है। इसका पालन नैतिक तरीके से कार्य करने में सहायक होता है, जो पेशेवर व्यवहार के सामान्य सिद्धांतों की रूपरेखा बताता है। कार्यस्थल पर प्रत्येक कर्मचारी के लिये इस तरह की आचार संहिता के रूप में सामान्य नैतिक व्यवहार के लिये एक मूर्त और वास्तविक संदर्भ होना चाहिये। नैतिक व्यवहार अचिन्त्य और अनिवार्य होना चाहिये। कर्मचारियों में उचित मनोवृत्ति के विकास का एक प्रभावी तरीका उन्हें संगठनामत्क भूमिका निभाने में संलग्न करना है। नियमित तौर पर नैतिकता के प्रशिक्षण वीडियो में अच्छे और बुरे व्यवहार के उदाहरण देखकर इन बुनियादी बातों को कर्मचारी सीख सकते हैं। प्रत्येक कार्यस्थल में व्हिसल ब्लोअर के लिये तंत्र विकसित करना चाहिये, जहाँ तन्मयता के साथ वह कार्य कर सके। यह ईमानदार कर्मियों को डर के बिना सत्य प्रकट करने और संदिग्ध, अनैतिक गतिविधि की सूचना देने में मदद करता है।
प्रशिक्षण में कुछ परिवर्तनों को समायोजित करके, संगठन विभिन्न नैतिक दुविधाओं को हल करने के लिये अपने कर्मचारियों को सशक्त कर सकते हैं।