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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में संपन्न औद्योगिक क्रांति को संभव बनाने में वैज्ञानिक आविष्कारों एवं तकनीकी परिवर्तनों की भूमिका का परीक्षण करें।

    27 Feb, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    • औद्योगिक क्रांति की सफलता में वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास की भूमिका का उल्लेख करना है।

    • चूँकि प्रश्न में परीक्षण पूछा गया है, अत: इसके नकारात्मक परिणामों की भी चर्चा की जानी चाहिये।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • औद्योगिक क्रांति का संक्षिप्त परिचय देते हुए इस समय के विभिन्न अविष्कारों एवं तकनीकी परिवर्तनों की चर्चा करें।

    • इन आविष्कारों ने किस प्रकार औद्योगिक क्रांति को सफल बनाया, विभिन्न दृष्टिकोणों से चर्चा करें।

    • इन परिवर्तनों के कुछ नकारात्मक परिणामों का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष लिखें।


    अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में परिवर्तन ने समाज की सोच में भी परिवर्तन किया। कारखाना पद्धति घरेलू उत्पादन प्रणाली को प्रतिस्थापित करने लगी। शक्ति चालित मशीनों का अधिकाधिक उपयोग प्रारंभ हुआ और आधुनिक व्यापार तंत्र का विकास हुआ। इसके फलस्वरूप व्यापार में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। इन्हीं व्यापक परिवर्तनों को इंगित करने के लिये ‘औद्योगिक क्रांति’ शब्द का प्रयोग किया गया।

    यद्यपि विज्ञान ने औद्योगिक क्रांति में कोई सीधी भूमिका नहीं निभाई, किंतु प्रौ़द्योगिकी ने यह भूमिका अवश्य अदा की। प्रौद्योगिकीय विकास विज्ञान पर ही निर्भर था। विज्ञान की बढ़ी हुई समझ ने ही कृषि, वस्त्र उद्योग, लौह एवं इस्पात उद्योग, परिवहन एवं संचार में सुधार आदि को संभव बनाया। इन सुधारों को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है:

    कृषि क्रांति के बिना औद्योगिक क्रांति संभव नहीं होती। ‘ड्रिल’ नामक यंत्र की खोज ने खेतों की बुवाई को आसान बनाया। पोटाश, नाइट्रोजन और फास्फोरस के प्रयोग ने कृषि उत्पादकता को बढ़ाया और कृषि को लाभ का कार्य बना दिया।
    फ्लांइग शटल, वाटर प्रेम, म्यूल आदि अविष्कारों ने वस्त्र उद्योग को नवीन उँचाइयों पर पहुँचा दिया। कम समय और कम लागत में अधिक उत्पादन होने लगा।

    पत्थर के कोयले (कोक) के प्रयोग ने लौह शुद्धिकरण तकनीक को आसान बनाया। इसके पश्चात् इस्पात के आविष्कार ने भारी उद्योगों को प्रगति दी। बड़ी-बड़ी मशीनों को इस्पात से बनाया जाना आसान हुआ।

    बढ़े हुए उत्पादन एवं व्यापार ने परिवहन के साधनों में आवश्यक परिवर्तनों को उत्प्रेरित किया। सड़क एवं नहर निर्माण किया जाने लगा।

    भाप इंजन और कालांतर में गैसोलीन (पेट्रोल) आधारित इंजन के विकास ने मोटर उद्योग की सफलता में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। रबर के टायरों से यात्रा आरामदेह हो गई।

    डाक-तार के विकास ने संचार के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन किया।

    इस प्रकार वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास ने औद्योगिक क्रांति को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। यद्यपि इससे प्रदूषण, श्रमिकों का शोषण, अव्यवस्थित शहरी बस्तियाँ, अमीर-गरीब के मध्य विस्तृत अंतर आदि नकारात्मक कारक भी उत्पन्न हुए। फिर भी वैज्ञानिक अविष्कारों एवं तकनीकी परिवर्तनों ने 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में औद्योगिक क्रांति को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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