आधुनिक कृषि में जोखिम एक अंतर्निहित एवं अपरिहार्य तत्त्व है। कृषि में उच्च प्रौद्योगिकी, वाणिज्यीकरण तथा विविधीकरण से संबंधित नवीन जोखिमों की आशंका से निपटने के लिये किये जा रहे जोखिम प्रबंधन में बैंकों की भूमिका पर विस्तार पूर्वक चर्चा करें।
26 Feb, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाभूमिका:
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में कृषि अर्थव्यवस्था के अनेक जोखिमों का सामना करना पड़ता है। जहाँ कहीं भी साख की आवश्यकात है उसे प्रदान करने तथा विकासगत कार्यव्रमों को उपयुक्त रूप से व्रियान्वित करने के लिये विभिन्न वित्तीय तथा विकासगत एजेंसियों में तालमेल हेतु बैंकों की भूमिका प्रमुख हो जाती है।
विषय-वस्तु
कृषि क्षेत्र में जोखिम का आशय प्राकृतिक विपदाओं के कारण आजीविका और किसान की आय को होने वाले खतरों से लिया जाता है। हालाँकि इन जोखिमों से बचना पूरी तरह संभव नहीं है लेकिन प्रभावी जोखिम प्रबंधन के द्वारा इनमें कमी अवश्य लाई जा सकती है। कृषि जोखिम प्रबंधन में जोखिम की पहचान, उसका मूल्यांकन तथा प्राथमिकीकरण आता है जिसके कारण इसे कृषि क्षेत्र की नीतियों का एक अभिन्न अंग माना जाता है।
प्राय: कृषि जोखिम को सूखा एवं बाढ़ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। लेकिन वर्तमान में जलवायु परिवर्तन ने कृषि जोख्मिा को एक नया स्वरूप प्रदान किया है। इसके साथ ही फसल उपरांत होने वाले नुकसान एवं कीटों से हुई क्षति को भी विभिन्न जोखिमों में शामिल किया जाता है।
जोखिम न्यूनीकरण में बैंकों की भूमिका
कृषि क्षेत्र में जोखिम उत्पन्न होने पर बैंकों से संबंधित अनेक उपाय मददगार हो सकते है, जैसे-
आमतौर पर बाढ़ा के बाद पुनर्वास गतिविधियों का पोषण करना कठिन नहीं होता लेकिन सूखा पड़ने पर कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न होती है, इसलिये जोखिम न्यूनीकरण प्रव्रिया में सूखे पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
निष्कर्ष
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-