क्या आप मानते हैं कि ‘ब्रेस्ट लिटोवस्क की संधि’ लेनिन की एक गंभीर भूल थी? तर्कपूर्ण उत्तर दें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
संधि की पृष्ठभूमि से उत्तर की शुरुआत करें।
संधि के सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्ष क्या थे।
संतुलित निष्कर्ष।
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ब्रेस्ट लिटोवस्क की संधि 3 मार्च 1918 को सोवियत रूस की बोल्शेविक सरकार तथा केन्द्रीय शक्तियों (जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, बुल्गारिया तथा ऑटोमन साम्राज्य) के मध्य संपन्न हुई। इस संधि के द्वारा रूस प्रथम विश्वयुद्ध से अलग हो गया। इस संधि को लेकर लेनिन की आलोचना हुई तथा इसे लेनिन की एक गंभीर भूल कहा गया।
ब्रेस्ट लिटोवस्क संधि के सकारात्मक पक्ष
- रूस की अर्थव्यवस्था प्रथम विश्व-युद्ध के दौरान दयनीय हालत में थी और युद्ध जारी रखना रूस के लिये किसी सूरत में लाभप्रद न था, युद्धबंदी के बाद रूस को अर्थव्यवस्था में सुधार का अवसर मिला।
- सोवियत रूस गृहयुद्ध की समस्या से जूझ रहा था, इस समय उसे मोर्चे पर सैन्य बल की आपूर्ति सुनिश्चित करने में काफी समस्या आ रही थी।
- बोल्शेविक युद्ध की समाप्ति का वचन (अप्रैल थिसिस) देकर सत्ता में आए थे, अतः युद्ध जारी रखने से सैन्य विद्रोह की आशंका थी, जिसे टाला गया।
- पूर्वी मोर्चे पर रूस की स्थिति अत्यंत कमजोर थी, हथियारों एवं अन्य संसाधनों का घोर अभाव था। ऐसी स्थिति में अमेरिका की सहायता अपेक्षित थी पर ऐसा नहीं हुआ, अतः सोवियत रूस के लिये युद्धबंदी की घोषणा आवश्यक थी।
- पुनः बोल्शेविक क्रांति के उपरांत सरकार के दृष्टिकोण में मौलिक परिवर्तन आ गया। अब साम्राज्यवादी आकांक्षा के विपरीत रूस के सामाजिक-आर्थिक विकास की प्रक्रिया को त्वरित करना प्राथमिक लक्ष्य बन गया।
संधि के नकारात्मक पक्ष
- संधि की शर्तें कठोर थीं, रूस को पोलैंड, एस्तोनिया, लातविया, लिथुआनिया, जॉर्जिया तथा फिनलैंड गँवाना पड़ा। इसमें रूस का एक-तिहाई कृषि भूमि, एक-तिहाई जनसंख्या, दो-तिहाई कोयले के खदान तथा आधे भारी उद्योग शामिल थे। यह संधि के लिये काफी ऊँची कीमत थी, अतः रूस की अन्य सभी पार्टियों ने इसका विरोध किया।
- यह संधि मित्र-राष्ट्रों से सलाह के बिना की गई थी, अतः अंतर्राष्ट्रीय पटल पर रूस को संदेहपूर्ण दृष्टि से देखा जाने लगा।
- ब्रेस्ट लिटोवस्क संधि ने रूस में व्हाईट तथा रेड के मध्य गृहयुद्ध भड़काने में अहम भूमिका निभाई।
- इस संधि के बावजूद रूस पर युद्ध का खतरा मंडराता रहा, फ्राँसीसी नौसेना ओडेसा तथा ब्रिटिश सैनिक मरमांस्क और जापानी सेना सुदूर पूर्व में पहुँच चुकी थी।
- सौभाग्यवश जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों के हाथों हार का सामना करना पड़ा और सितंबर 1918 में संधि व्यवहारिक रूप से समाप्त कर दी गई। रूस इस संधि के सबसे बुरे परिणामों से बच गया।
- रूस द्वारा यह संधि शाश्वत उद्देश्य के लिये की गई थी जिसमें अंतर्निहित कांटों की चुभन पूर्व निर्धारित थी फिर भी दीर्घकालिक जनलाभ के लिये उक्त दोष नगण्य थे। अतः इस संधि को लेनिन की गंभीर भूल कहना युक्तिसंगत नहीं है।