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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ‘खेल नैतिकता’ से आप क्या समझते हैं? यह खेलों के विकास के लिये कैसे महत्त्वपूर्ण है? खेल नैतिकता को लेकर बाध्यकारी नियमों, विनियमों के बावजूद एक बड़ी संख्या में खिलाडि़यों की डोपिंग जैसे अनैतिक कार्यों में संलिप्तता दर्शाती है कि खेलों में नैतिकता को सुनिश्चित करना, मात्र कानून व नियमों से संभव नहीं है। अपनी राय व्यक्त करें।

    20 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा: 

    • खेल नैतिकता की परिभाषा लिखें।
    • खेल नैतिकता का खेलों के विकास में योगदान पर तर्क दें।
    • वर्तमान उदाहरणों से यह स्पष्ट करें कि कानून व नियम खेल नैतिकता को सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त नहीं रहे हैं।
    • उचित सुझाव दें।

    खेल नैतिकता से तात्पर्य खेल के नियमों, खिलाडि़यों के व्यवहार, प्रशिक्षकों का आचरण आदि का नैतिक नियमों एवं नैतिक सिद्धांतों के अनुरूप होना है। खेलों में नैतिकता की आवश्यकता ने ही खेल नैतिकता की अवधारणा को जन्म दिया है। खेल नैतिकता के अंतर्गत स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा, टीम भावना, दोस्ती, सम्मान, समानता, सहिष्णुता, एक-दूसरे की परवाह, प्रदर्शन की उत्कृष्टता और एकता जैसे मूल्यों के विकास पर ध्यान दिया जाता है। 

    खेल नैतिकता खेलों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब किसी खेल में बिना भेदभाव के सभी को समान अवसर मिलते हैं, परिणाम संबंधी फैसले निष्पक्षता से लिये जाते हैं, साथ ही यदि जीतने वाले के साथ-साथ हारने वाले को भी प्रोत्साहित किया जाता है तो स्वाभाविक तौर पर उस खेल के प्रति लोगों की रुचि बढ़ती है जो प्रथमतः उस खेल विशेष और उत्तरोत्तर संपूर्णता में खेल-संस्कृति के विकास का वाहक बनती है। 

    आज यदि सिर्फ भारत की ही चर्चा करें तो यहाँ ओलंपिक में कोई भी मेडल लाने पर खिलाड़ी पर करोड़ों रुपयों की बरसात होती है। विज्ञापनों से कमाई, राजनेताओं एवं फिल्मी सितारों से मिलना-जुलना और एक अच्छी सरकारी नौकरी मिलने आदि जैसे आकर्षक परिणाम किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है। माता-पिता की आकांक्षाएँ, प्रशिक्षकों की अपेक्षाएँ और कड़ी प्रतिस्पर्द्धा के मध्य सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का मानसिक दबाव खिलाडि़यों को कई बार डोपिंग जैसे अनैतिक कार्यों को करने के लिये उकसाता है। कई बार खिलाड़ी लालच में मैच-फिक्सिंग जैसी अनैतिक हरकत करता है। सिर्फ नियमों, कानूनों को सख्ती से लागू करके इस स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इसके लिये सबसे आवश्यक है वैश्विक स्तर पर स्वस्थ खेल संस्कृति की स्थापना। बचपन से ही बच्चों को खेलों की महत्ता एवं खेल भावना का सम्मान करते हुए कड़ी मेहनत से खुद को विजेता बनाने की प्रेरणा दी जानी चाहिये। उम्र के किसी भी दौर में, जब तक वह खेलों से जुड़ा है, उसे खेल नैतिकता के उल्लंघन न किये जाने की चेतावनी भी साथ-साथ दी जानी चाहिये।

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