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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    घनी आबादी और भौतिक संपत्तियाें की वज़ह से जलवायु परिवर्तन, आपदाओं और संघर्षों के प्रति शहरों की संवेदनशीलता कई गुना बढ़ जाती है। परंतु शहरों का सुचारूपूर्ण नियोजन एवं प्रबंधन शहरों की उनकी प्रगति और चिरस्थायी विकास का माध्यम बनाता है। इस संबंध में भारत के बहुआयामी दृष्टिकोण विशेषकर स्मार्ट सिटीज़ की अवधारणा को स्पष्ट करें।

    14 Feb, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    भूमिका:

    2011 की जनगणना के अनुसार भारत की शहरी जनसंख्या देश की कुल आबादी का 31 प्रतिशत थी और 2030 तक बढ़कर 40 प्रतिशत हो जाने की उम्मीद की जा रही है। 2011 ही जनगणना के आँकड़ों के अनुसार शहरी भारत देश के सकल घरेलू उत्पाद में 63 प्रतिशत का योगदान करता है और 2030 में इसके 75 प्रतिशत हो जाने का अनुमान किया जा रहा है।

    विषय-वस्तु

    बढ़ते शहरीकरण की चुनौतियों का समाधान कर देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाया जा सकता है। बुनियादी ढाँचे में निवेश से रोज़गार के अवसर उत्पन किये जा सकते हैं जिससे जीवन यापन करने में सुविधा होगी और राष्ट्र की सेवा में नागरिकों की क्षमताओं का बेहतरीन उपयोग किया जा सकेगा।

    • प्रथम स्तर पर गरीबी उन्मूलन, किफायती आवास और स्वच्छता को तीन सबसे बढ़ी चुनौतियों के रूप में चिह्नित किया गया है। इस दिशा में दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, प्रधान मंत्री आवास योजना- शहरी और स्वच्छ भारत मिशन- शहरी को सभी शहरी स्थानीय निकायों में लागू किया जा रहा है।
    • दूसरे स्तर पर बुनियादी ढाँचे, जैसे जल आपूर्ति, कचरे के निपटान जैसे ज़रूरतों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस हेतु अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
    • तीसरे स्तर पर 100 शहरों को स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत विकसित किया जा रहा है और जीवनयापन हेतु सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत जन समुदाय को केंद्र में रखकर शहरी शासन व्यवस्था के नये आयामों का विकास किया जा रहा है और डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाकर शहरी बुनियादी ढाँचे, सेवाओं और संसाधनों के उपयोग में सुधार के प्रयास किये जा रहे हैं।

    स्मार्ट सिटीज ऐसे शहर होते हैं जिनमें नागरिकों के जीवन की गुणवक्ता के स्तर में सुधार हेतु उपयुक्त टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है। स्मार्ट सिटीज कुछ निर्धारित सिद्धांतों पर आधारित हैं, यथा-

    • नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण
    • कम संसाधनों से अधिक परिणाम
    • सहकारी और प्रस्पिर्धात्मक संघवाद
    • समन्वय, नवाचार और स्थायित्व
    • टेक्नोलॉजी का प्रयोग
    • समावेशी निर्देशक सिद्धांत

    शहरों में जीवन की गुणवत्ता का मूल्यांकन इस तथ्य पर निर्भर करता है कि नागरिक संबंधी प्रमुख मुद्दों यथा शहरी आवागमन व्यवस्था, किफायती आवास, जल और जलमल प्रबंधन, स्वच्छता, संरक्षण और सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा तथा ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चुनौतियों से किस प्रकार निपिटा जा रहा है। स्मार्ट सिटीज की सफलता से निवेश का बेहतर माहौल, रोज़गार के अवसर उत्पन्न करना आदि लक्ष्यों को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।

    स्मार्ट शहर विभिन्न प्रकार की पहल के ज़रिये चिरस्थायी विकास को प्रोत्साहन देते हैं-

    क्षेत्र आधारित विकास: इसके अंतर्गत शहरों के अंदर विश्वस्तरीय स्थलों को मॉडल के रूप में रखते हुए पुन: उनका विकास और सुधार किया जाता है।

    समग्र नगर विकास: इसमें शहरों द्वारा डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख कार्यों की पहचान की जाती है ताकि नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हेतु बुनियादी ढाँचे और सेवाओं का सृजन हो सके।

    निष्कर्ष

    अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-

    इस प्रकार हम पाते हैं कि स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ न केवल चिरस्थायी विकास को बढ़ावा दे रही है बल्कि शहरों को जीवंत बनाने के साथ -साथ चिरस्थायी विकास को भी बढ़ावा दे रही है। साथ ही इसे समावेशी, आरोग्यमय और सहयोगपूर्ण बनाने में भी मदद कर रही है।

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