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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    पिछले डेढ़ दशक में न केवल प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता में लगभग 20 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, अपितु जल प्रदूषण की स्थिति भी जैविक समुदाय की उत्तरजीविता के लिये अधारणीय हो गई है। कथन पर प्रकाश डालें एवं इस दिशा में सरकार द्वारा की जा रही पहलों की चर्चा करें। (250 शब्द)

    08 Feb, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    • प्रश्न का संबंध देश में जल उपलब्धता की समस्या एवं इसके निराकरण हेतु सरकारी प्रयासों से है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • भारत में जल उपलब्धता की समस्या को आँकड़ों के साथ दर्शाते हुए उत्तर प्रारम्भ करें।

    • प्रश्न में दिये गए कथन के संदर्भ में लिखने का प्रयास करें।

    • सरकार द्वारा प्रारंभ की गई पहलें बताएँ।

    • निष्कर्ष।


    जल की प्राकृतिक संसाधन के रूप में धारणीय विकास, खाद्य सुरक्षा, खाद्यान्न उत्पादन और जीवन की सुरक्षा के लिये मौलिक आवश्यकता है। हालाँकि विश्व के क्षेत्रफल का लगभग 70% भाग जल से घिरा हुआ है किंतु मात्र 3% जल ही पीने योग्य है। भारत में जल स्रोतों की उपलब्धता के बावजूद पिछले 5 दशकों में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता में 20% की कमी आई है। यह कमी जल उपलब्धता की कमी के कारण नहीं है, बल्कि जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण है।

    इस कमी के अन्य कारणों को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है-

    • जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा प्रारूपों में बदलाव।
    • जल प्रदूषण और अस्वच्छता के कारण पेयजल की उपलब्धता सीमित होना।
    • भौम जलस्तर में गिरावट, औद्योगिक स्तर पर जल के उपयोग में वृद्धि।
    • पेयजल का खराब प्रबंधन और आम जनता में जल संरक्षण के प्रति चेतना का अभाव।

    सरकार देश में जल उपलब्धता की कमी से निपटने का प्रयास कर रही है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय जल नीति का निर्माण किया गया है। जिसका उद्देश्य धारणीयता के साथ जल उपलब्धता तथा मांग के मध्य संतुलन बनाना है। इसके अतिरिक्त सरकार ने जल संरक्षण हेतु अनेक प्रयास किये हैं। जैसे- सिंचाई प्रबंधन कार्यक्रम, राष्ट्रीय भौम जल संवर्द्धन कार्यक्रम, संवर्द्धित सिंचाई लाभ कार्यक्रम, कमाण्ड क्षेत्र विकास कार्यक्रम, वाटरशेड विकास कार्यक्रम, नदियों को आपस में जोड़ना, सूचना संबंधी शिक्षा और संचार स्कीम, बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम, जल क्षेत्रों का पुनरुद्धार आदि। इसके अतिरिक्त भारत जल सप्ताह, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कैम्पेन एवं अंतर्राज्यीय जल विवादों का त्वरित निपटान के द्वारा भी जल संरक्षण हेतु जन जागरूकता बढ़ाई जा रही है।

    निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि जल उपलब्धता न केवल मानव जीवन के लिये बल्कि विकास के लिये भी आवश्यक है राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ-साथ जन भागीदारी भी इस समस्या के निवारण के लिये आवश्यक है जिससे इस चुनौती से समग्र रूप से निपटा जा सकता है।


    संबंधित स्रोत : इंटरनेट, द हिन्दू योजना और कुरूक्षेत्र।

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