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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत दुनिया के सर्वाधिक आपदा प्रवण क्षेत्रों में से एक है, जिसका लगभग 85% क्षेत्र एक या कई आपदाओं के प्रति सुमेद्य है एवं 22 राज्य व केंद्रशासित क्षेत्र इससे अक्रांत हैं। उक्त कथन के संदर्भ में भारत की आपदा प्रवणता की स्थिति की व्याख्या करें।

    05 Feb, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    प्रश्न में भारत में विभिन्न आपदाओं की स्थिति बतानी है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    विभिन्न आपदाओं का परिचय लिखते हुए उत्तर प्रारम्भ करें।

    भारत में विभिन्न आपदाएँ एवं उनके क्षेत्रों को बताएँ।

    आपदाओं से निपटने के लिये सरकार के प्रयासों की सफलता और असफलता की चर्चा करें।

    समाधान बताते हुए निष्कर्ष लिखें।

    आपदा का अर्थ है अचानक होने वाली विध्वंसकारी घटना, जिससे व्यापक स्तर पर भौतिक क्षति होती है और जान-माल का नुकसान होता है। यह वह प्रतिकूल स्थिति है जो मानवीय, भौतिक, पर्यावरणीय एवं सामाजिक कार्यकरण को व्यापक तौर पर प्रभावित करती है। भारतीय उपमहाद्वीप विश्व के आपदा प्रवण क्षेत्रों में से एक है। भारत के 28 राज्य और 7 केंद्रशसित प्रदेशों में से 22 आपदा प्रवण हैं। भारत विभिन्न प्रकार की आपदाओं से घिरा हुआ है। इन्हें निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है-

    • चक्रवात, तूफान, ओलावृष्टि, बादल का फटना, लू, शीतलहर, हिमस्खलन, सूखा आदि।
    • भूमि संबंधी आपदाएँ जैसे-भू-स्खलन, भूकम्प, बांध का टूटना, खदान का ढहना।
    • जंगलों की आग, तेल का रिसाव, इमारतों का ढहना, दुर्घटनाएँ।
    • जैविक आपदाएँ जैसे- महामारियाँ, कीटों का हमला, जहरीला भोजन, शराब आदि।
    • रासायनिक एवं औद्योगिक आपदाएँ-रासायनिक गैस का रिसाव, नाभिकीय रिसाव आदि।
    • नागरिक संघर्ष, सांप्रदायिक एवं जातीय हिंसा आदि।

    भारत में परंपरागत रूप से आपदा प्रबंधन का कार्य राज्य सरकार, सामाजिक संस्थाओं, स्वैच्छिक संगठन, अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों द्वारा केंद्र सरकार के सहयोग से किया जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् से ही केंद्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री राहत कोष और राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री राहत कोष का गठन हुआ, यद्यपि आपदा प्रबंधन हेतु संविधान की सातवीं अनुसूची में कोई विवरण नहीं है। वर्ष 2005 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की। इसके लिये आपदा प्रबंधन अधिनियम भी बनाया गया। इसके अतिरिक्त UNDP की वित्तीय एवं तकनीकी सहायता द्वारा आपदा जोखिम प्रबंधन कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। भारत सेंदाई रूपरेखा को स्वीकार करने वाले प्राथमिक राष्ट्रों में से एक है। इसके अतिरिक्त, अनेक केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों में आपदा प्रबंधन हेतु शैक्षिक प्रमाण पत्र भी प्रदान किये जा रहे हैं।

    किंतु शासनिक एवं प्रशासनिक उदासीनता, उत्तरदायित्व का अभाव, जन-जागरूकता का अभाव, वित्त एवं तकनीकी दक्षता में कमी, NDMA का क्रियान्वयन सही ढंग से न हो पाना आदि के कारण भारत में वर्तमान में भी आपदाओं से नुकसान हो रहा है।

    निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि आपदाओं को रोका तो नहीं जा सकता किंतु इनसे उत्पन्न खतरों को कम अवश्य किया जा सकता है। इसी कारण भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन के त्रिचरणीय दृष्टिकोण को अपनाया है। इसमें रोकथाम के उपाय, आपदा से निपटने की तैयारी और आपदा पश्चात् राहत एवं बचाव तथा पुनर्वास सम्मिलित है।

    संबंधित स्रोत: इंटरनेट, द हिन्दू योजना और कुरूक्षेत्र।

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