अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा प्रकाशित ग्लोबल फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कॉर्पोरेट प्रशासन के मानदंड में सुधार हुआ है परंतु भारत में गिरावट दर्ज की गई है। कॉर्पोरेट प्रशासन की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए भारत में इसके सुधार हेतु किये जा रहे हालिया प्रयासों पर चर्चा करें।
उत्तर :
भूमिका:
कॉर्पोरेट प्रशासन वह प्रणाली है जिसके द्वारा कंपनियों का प्रबंधन एवं नियंत्रण किया जाता है। इसमें प्रणालियों, प्रव्रियाओं और सिद्धांतों का एक सेट अथवा प्रारूप शामिल होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि एक कंपनी अपने हितधारकों के सर्वोत्तम हित के साथ कार्य करें।
विषय-वस्तु
बेहतर कॉर्पोरेट प्रशासन के द्वारा निम्नलिखित चीजें सुनिश्चित की जा सकती है-
- कॉर्पोरेट उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये पर्याप्त जानकारियों का खुलासा एवं प्रभावी निर्णय
- व्यापारिक लेन-देन में पारदर्शिता
- वैधानिक और कानूनी अनुपालन
- शेयरधारकों के हितों की सुरक्षा
- मूल्यों और व्यवसाय के नैतिक आचरण के लिये प्रतिबद्धता
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा प्रकाशित ग्लोबल फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार जहाँ उभरती अर्थव्यवस्थाओं के कॉर्पोरेट प्रशासन के मानदंडों में सुधार हुआ है वही भारत के संदर्भ में इसमें गिरावट दर्ज की गई है।
भारत में कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार के लिये किये जा रहे हालिया प्रयास-
कोटक पैनल की रिपोर्ट
उदय कोटक की अध्यक्षता में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा गठित पैनल ने कंपनियों के कॉर्पोरेट प्रशासन मानकों में सुधार के लिये कई बदलावों हेतु सुझाव दिये हैं-
- बोर्ड के अध्यक्ष कंपनी के प्रबंध निदेशक/सीईओ नहीं हो सकते।
- बोर्ड में न्यूनतम छ: निदेशक होने चाहिये एवं 50% स्वतंत्र निदेशकों में से कम-से-कम एक महिला निदेशक होनी चाहिये।
- स्वतंत्र निदेशकों के लिये न्यूनतम योग्यता और कौशल की सार्वजनिक जानकारी सुनिश्चित कराई जाए।
- कंपनी और उसके प्रमोटरों के बीच जानकारी साझा करने के लिये एक औपचारिक चैनल का निर्माण करना।
- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को सूचीबद्ध विनियमन द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिये, न कि नोडल मंत्रालयों द्वारा।
- यदि किसी भी लेखा परीक्षण में कोई त्रुटि पाई जाती है तो ऑडिटर्स को दंडित किया जाना चाहिये।
- सेबी के पास ‘व्हिसिल ब्लोअर’ को सुरक्षा प्रदान करने की शक्ति होनी चाहिये।
- कंपनियों को वार्षिक रिपोर्ट में मध्यम अवधि से लेकर दीर्घकालिक व्यापार रणनीति तक का खुलासा करना चाहिये।
टी.के. विश्वनाथन समिति की रिपोर्ट
उचित बाजार आचरण पर गठित टी.के. विश्वनाथन समिति द्वारा निम्नलिखित सिफारिशें की गई-
- इनसाइडर ट्रेडिंग पर दो अलग-अलग आचार संहिता का निर्माण।
- कंपनियों को नामित व्यक्तियों के ऐसे रिश्तेदारों का विवरण रखना चाहिये जिनके साथ वे कंपनी की संवेदनशील जानकारी या वित्तीय लेन-देन संबंधी जानकारी को साझा कर सकते हैं।
- ऐसे सभी जानकारियों को कंपनी द्वारा इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में सुरक्षित रखा जा सकता है, और इन्हें किसी भी मामले से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिये सेबी के साथ भी साझा किया जा सकता है।
- समिति ने टेलीफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक संचार उपकरणों को रिकार्ड करने के लिये सेबी को प्रत्यक्ष अधिकार देने की सिफारिश की है, जिससे यह इनसाइड ट्रेडिंग और धोखधड़ी की जाँच कर सके।
निष्कर्ष
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-