भारत एवं अफगानिस्तान के मध्य मज़बूत संबंध न सिर्फ नई दिल्ली और काबुल तक सीमित है बल्कि इसकी जड़ें दोनों देशों के लोगों के मध्य आपसी आदान-प्रदान और ऐतिहासिक संपर्क से जुड़ी हैं। हालिया संदर्भों में कथन की पुष्टि करें।
24 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और अफगानिस्तान के बीच पारंपरिक रूप से मज़बूत और मैत्रीपूर्ण संबंधों के साथ-साथ घनिष्ठ तकनीकी, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंध रहे हैं। भारत एवं अफगानिस्तान एक दूसरे के साथ संगीत, कला, वास्तुकला, भाषा एवं आहार-विहार के क्षेत्र में गहरी जड़ की हुई अंतर्संबंधों के सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत को साझा करते आ रहे हैं। अतीत में भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों की जानकारी सिंधु घाटी सभ्यता से मिलती है।
राजनैतिक और प्रशासनिक तौर पर हम देखते हैं कि भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निमाण और पुनर्वास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने तकनीकी सहयोग और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण निवेश किया है। भारत हवाई संपर्क, बिजली संयंत्रों के पुर्निर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करने के साथ-साथ अफगान सिविल सेवकों और सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित करने के कार्य में मदद करता है। भारत की कृषि, सिंचाई पेयजल, नवीकरणीय ऊर्जा, बाढ़ नियंत्रण, माइक्रो-हाइड्रो पॉवर, खेलकूद एवं प्रशासनिक अवसंरचना में महत्त्वपूर्ण निवेश करने की योजना है। भारत ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान के लिये चलाए जा रहे शिक्षा, क्षमता निर्माण, कौशल एवं मानव संसाधन विकास जो कि विश्व के सबसे बड़े कार्यक्रमों में से एक है, को आगे 5 वर्षों यथा 2017 से 2022 तक चलाया जाएगा। सद्भावना के संकेत के रूप में भारत ने अफगानिस्तान में नए संसद भवन के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हाल ही में भारत ने कुछ महत्त्वपूर्ण नई परियोजनाओं को लागू करने पर सहमति जताई है, जैसे- काबुल के लिये शहतूत बांध और पेयजल परियोजना, बाम्यान प्रांत में पर्यटन को बढावा देने के लिये बैंड-ए-अमीर सड़क संपर्क, नंगरहार प्रांत में अफगान शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये कम लागत वाले आवास और काबुल में एक जिप्सम बोर्ड विनिर्माण संयंत्र आदि।
दोनों देशों के संबंधों के मध्य आने वाली चुनौतियों के संदर्भ में आतंकवाद एवं पाकिस्तानी कूटनीतिक रणनीतियों को हम मुख्य बाधा के रूप में पाते हैं। अफगानी तालिबान एवं इस्लामिक स्टेट के आतंकियों का प्रभाव भारत के भविष्य पर भी पड़ सकता है। इसे देखते हुए भारत दोनों देशों के बीच संबंधों में स्थिरता लाने के लिये लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान की स्थापना चाहता है। अफगानिस्तान को सहायता प्रदान करने के भारत के प्रयास भौगोलिक समीपता और सीमित पहुँच के कारण बाधित होते रहे हैं। अफगानिस्तान से ड्रग्स की तस्करी पंजाब के साथ अन्य भारतीय राज्यों में होती है। जिसने युवाओं को प्रभावित करने के साथ-ही साथ आतंकवाद और संगठित अपराध को भी बढ़ावा दिया है। अफगानिस्तान में बढ़ते चीनी प्रभाव ने भारत के लिये कूटनीतिक चुनौती भी पैदा कर दी है। आर्थिक क्षेत्र में हम पाते हैं कि अफगानिस्तान भारत के लिये निर्यात का दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य है। भारत ईरान और अफगानिस्तान ने संयुक्त रूप से एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं जिसका उद्देश्य चाबहार बंदरगाह में पाकिस्तान को घेरते हुए अफगानिस्तान के भू-आबद्ध क्षेत्र तक पहुँच बनाने के लिये निवेश करना है। प्रस्तावित तापी (तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत) पाइपलाइन अफगानिस्तान से होकर गुजरती है। इसका उद्देश्य तुर्कमेनिस्तान से भारत में प्राकृतिक गैस का आयात करना है।
कई चुनौतियों के बावजूद भारत-अफगान संबंध पहले से अधिक मज़बूत हुए है। अफगानिस्तान में निरंतर पुनर्निर्माण और ठोस सामाजिक-आर्थिक विकास की भारतीय नीति ने इस युद्धग्रस्त देश में शांति और समृद्धि लाने में मदद की है। अफगानिस्तान में भारत की छवि आज भी सबसे लोकप्रिय देश के रूप में है लेकिन अगर वहाँ सुरक्षा की दृष्टि से माहौल बिगड़ता है और तालिबान हावी हो जाता है तो जितना भी काम भारत ने वहाँ किया है उसका महत्त्व नहीं रह जाएगा।