देश में आधारभूत संरचना के विकास में गैर-सरकारी भागीदारी योजना (PPP) मॉडल का अंगीकरण आलोचना से मुक्त नहीं है। इस मॉडल के पक्ष-विपक्ष की समालोचनात्मक विवचेना कीजिये।
22 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
आधारभूत संरचनाओं से तात्पर्य उन मूलभूत संरचनाओं से है, जो किसी भी देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के बुनियादी घटक हैं। इसके अंतर्गत सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, ऊर्जा क्षेत्र इत्यादि शामिल होते हैं। अपने दीर्घकालिक उद्देश्य एवं निर्माण की लागत के कारण ये परियोजनाएँ वृहद् स्तर की होती हैं और अत्यधिक पूंजी, विश्वस्तरीय तकनीक एवं उच्च मानव कौशल की मांग करती हैं।
विषय-वस्तु के पहले भाग में गैर-सरकारी भागीदारी योजना (PPP) मॉडल के सकारात्मक पक्ष पर प्रकाश डालेंगे-
आधारभूत संरचनाओं के संदर्भ में भारत की अपनी कुछ सीमाएँ है जिसमें वित्त की कमी एवं विभिन्न प्रकार की सामाजिक, आर्थिक चुनौतियाँ, विश्वस्तरीय तकनीक की अनुपलब्धता, कुशल मानव संसाधन का अभाव आदि शामिल है जो इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा पहुँचाते हैं। ऐसे मे गैर-सरकारी भागीदारी द्वारा इन परियोजनाओं को पूरा करना एक बेहतर समाधान बनकर उभरता है जैसे-
भारत में गैर-सरकारी भागीदारी योजना (PPP) मॉडल का प्रमुख उदाहरण दिल्ली मेट्रो, युमना एक्सप्रेस-वे, वर्ली सी लिंक इत्यादि हैं जिसमें दिल्ली मेट्रों का उदाहरण वैश्विक पपरिप्रेक्ष्य में एक मॉडल के रूप में लिया जाता है।
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम पीपीपी मॉडल की कमियों पर चर्चा करेंगे-
वर्तमान समय में जिस प्रकार से लोगों की जरूरतें, मनोकांक्षा तथा विकासात्मक गतिविधियाँ बढ़ती चली जा रही हैं, उसको पूरा करने के लिये गैर-सरकारी भागीदारी योजना मॉडल महत्त्वपूर्ण बनते जा रहे हैं, लेकिन इनमें भी कुछ खामियाँ विद्यमान है, जो निम्न हैं-
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-
गैर-सरकारी भागीदारी योजना (PPP) मॉडल की विवेचना से यह परिलक्षित होता है कि इसमें कुछ अच्छाइयाँ है तो कुछ खामियाँ भी, लेकिन यह योजना वर्तमान समय की आवश्यकता बन चुकी है। जरूरत है सिर्प इसकी कुछ खामियों को दूर कर संतुलन साधने की, ताकि सतत् समावेशी एवं सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया संचालित हो सके।