अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा इंजीनियरिंग शिक्षा हेतु लघु और मध्यम अवधि की योजना पर सिफारिशों के लिये गठित बी.वी.आर. मोहन रेड्डी समिति की मुख्य सिफारिशों को विस्तारपूर्वक समझाएँ।
22 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
हाल ही में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा प्रिषद द्वारा बी.वी.आर. मोहन रेड्डी की अध्यक्षता वाली समितियों को स्वीकार किया गया, जिसका गठन इंजीनियरिंग शिक्षा हेतु लघु और मध्यम अवधि की योजना पर सिफारिशें प्रदान करने के लिये किया गया था।
देश में प्रत्येक वर्ष सैकड़ों की संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होते जा रहे हैं क्योंकि उनमें छात्र प्रवेश नहीं ले रहे हैं। इन आँकड़े से स्पष्ट है कि देश में उच्च शिक्षा को लेकर रूख बदल रहा है। निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेने में छात्रों की रूचि में काफी गिरावट आई है। इनके शिक्षा की गुणवता पर भी सवाल खड़े हुए है। इन संस्थानों को खराब बुनियादी ढ़ाँचे, संबंधित उद्योगों से जुड़ाव और प्रयोगशाला की कमी जैसी समस्याओं से ग्रसित पाया गया है। भारी मात्रा में फीस वसूले जाने के बावजूद इंटर्नशिप और रोज़गार का कोई इंतजाम नहीं होता है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के अनुसार 60 फीसदी से अधिक इंजीनियरिंग छात्र बेरोज़गार ही रह जाते हैं और शेष छात्रों को शिक्षा के निम्न स्तर की वजह से कम वेतन वाली नौकरी मिलती है।
इन्ही के मद्देनजर बी.वी. मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की हैं, जिनमें से निम्न है-
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-
♦ शैक्षिक संस्थानों को इन्क्यूवेटर सैटर, मेंटर क्लब और एक्सेलरेटर प्रोग्राम शुरू करने की जरूरत है।
♦ मौजूदा संस्थानों में अतिरिक्त सीटों को मंजूरी देने के संदर्भ में समिति का कहना है कि AICTE को संबंधित संस्थान की क्षमता के आधार पर ही अनुमोदन देना चाहिये।