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प्रश्न :
साल-दर-साल देश के एक ही क्षेत्र में बाढ़ और सूखा जैसी भीषण प्राकृतिक आपदाएँ चक्रानुक्रम में लगातार घटित हो रही हैं। इनकी रोकथाम या शमन करने के लिये उन्नत क्रियाविधि संभव है। पहले से चेतावनी प्राप्त करना, पहले से तैयार होने को दर्शाता है। अब ऐसी तकनीक उपलब्ध है जो चक्रवात आने की स्थिति में अग्रिम पर्याप्त सूचना उपलब्ध करा सकती है और सुनामी की स्थिति में कुछ घंटों पहले सूचना उपलब्ध करा सकती है। किसी भी आपदा की स्थिति में प्रथम प्रतिक्रिया करने वाला समुदाय होता है जो परंपरागत रूप से सदैव जरूरतमंदों को जल्द-से-जल्द राहत और मदद प्रदान करने के लिये कार्य करता रहा है। आप उच्च जोखिम चक्रवात वाले किसी जिले के जिलाधिकारी हैं। आपके जिले में मौसम विभाग ने भारी वर्षा और चक्रवात की चेतावनी जारी कर दी है। आप कौन से उपाय सुझाएंगे ताकि समयानुकूल और तीव्र प्रतिक्रिया सुनिश्चित हो सके?
25 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा :
- प्राकृतिक आपदाओं के संदर्भ में पूर्व चेतावनी का महत्त्व क्या है ?
- रोकथाम के क्या उपाय किये गए हैं और क्या किया जाना ज़रूरी हैं?
प्राकृतिक आपदाओं के संदर्भ में पूर्व चेतावनी ने राहत कार्यों के लिये सरलता प्रदान की है। हाल ही में आए चक्रवात ‘रोआनू’ (Roanu) के बारे में पूर्व चेतावनी मिल जाने से क्षेत्रीय प्रशासन ने जान-माल की हानि को न्यूनतम कर दिया था। इस क्रम में यदि मेरे जिले में प्राकृतिक आपदाओं की बारंबारता अधिक है तो मैं, त्वरित प्रक्रिया और पूर्व चेतावनी प्रणाली के सफल क्रियान्वयन हेतु निम्न प्रयास करूंगा-
- आपदा की स्थिति में समुदाय की सहायता करने हेतु पंचायती राज व्यवस्था और स्थानीय नगर पालिकाओं को सशक्त बनाया जाएगा। इस प्रकार यह उनके सामाजिक उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने का प्रयास होगा।
- त्वरित आवश्यकता पर राहत प्रदान करने के लिये प्रशिक्षित स्वयंसेवकों के समूहों को सक्षम बनाना। जैसे- होमगार्डों की भूमिका, साथ ही स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित किया जा सकता है तथा प्रेरणात्मक वक्तव्यों से उनका मनोबल बढ़ाया जा सकता है।
- आपात राहत कार्यों के लिये नागरिक पुलिस को प्रशिक्षित किया जा सकता है। इससे उनकी सार्वजनिक छवि को परिवर्तित करने में सहायता मिलेगी। नागरिक पुलिस के व्यवहारात्मक अभिवृत्ति को परिवर्तित कर उसे समाज के प्रति करुणा, सहानुभूति जैसे मूल्यों से प्रशिक्षित किया जाएगा।
- स्वदेशी प्रतिरोधक तंत्र (Indigenous Coping Mechanism) को मज़बूत बनाने हेतु विभिन्न प्रकार के हस्तक्षेप करूंगा।
- सामूहिक ज्ञान और सोशल नेटवर्किंग को मज़बूत बनाऊंगा, विशेषतः उत्तर-पूर्वी राज्यों, गाँवों और जनजातीय क्षेत्रों में।
- प्रत्येक आपदा से सीखे गए सबक को भविष्य की आपदाओं के प्रशिक्षण हेतु सुरक्षित रखा जाएगा।
- मैं आपदा पूर्व बनाए गए शेल्टरों का उपयोग महिलाओं, वृद्धों, बच्चों आदि को बचाने में करूंगा। कमज़ोर वर्ग को बचाना अधिक आवश्यक इसलिये भी है क्योंकि आपदा के परिणामस्वरूप यह वर्ग वर्तमान से 10 या 20 वर्ष पिछड़ जाता है, जो कि इनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के कारण होता है।
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