शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) के हालिया सर्वेक्षण की जानकारी देते हुए देश की स्कूली शिक्षा की स्थिति और बुनियादी शिक्षा के स्तर पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
भूमिका:
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) एक वार्षिक सर्वेक्षण है जिसका उद्देश्य भारत में सभी ग्रामीण जिलों एवं राज्यों के लिये बच्चों के नामांकन पंजीकरण तथा बुनियादी शिक्षा का विश्वसनीय आकलन प्रस्तुत करना है।
विषय-वस्तु
2005 से शिक्षा की वार्षिक स्थिति पर सर्वेक्षण शिक्षा क्षेत्र की शीर्षस्थ गैर-व्यवसायिक संस्था ‘प्रथम’ द्वारा करायी जा रही है। भारत में शिक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21A के अंतर्गत मूल अधिकार के रूप में उल्लेखित है। इस मूल अधिकार के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2009 में नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया गया है। इसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सार्वभौमिक समावेशन को बढ़ावा देना तथा माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययन के नए अवसर सृजित करना है। इसके तहत 6-14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे के लिये शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में अंगीकृत किया गया है।
असर (ASER) 2018 सर्वेक्षण
- ‘असर’ 2018 में ग्रामीण भारत में 3 से 16 वर्ष के बच्चों का स्कूल में नामांकन और 5 से 16 साल के बच्चों के पढ़ने और गणित के सवालों को हल करने की क्षमता को परखा गया।
- 2018 में 596 जिलों के 354, 944 प्रिवारों का सर्वेक्षण किया गया।
- इसमें 3 से 16 साल की उम्र के 546,527 बच्चें को शामिल किया गया।
- इस रिपोर्ट में हर वर्ष यह जाँच की जाती है कि ग्रामीण भारत के कितने बच्चे स्कूल जा रहे हैं और आसान पाठ पढ़ पाने व बुनियादि गणित के प्रश्नों को हल करने में सक्षम है।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act), 2010 के बाद इस सर्वेक्षण में उन मापन योग्य मानकों को भी शामिल किया गया जो इस कानून के तहत देश के किसी भी विद्यालय के लिये बाध्यकारी है।
‘असर’ 2018 में शामिल क्षेत्र
- स्कूली स्तर : नामांकन और उपस्थिति
- अधिगम स्तर : पढ़ने व गणित के प्रश्नों को हल करने का बुनियादी कौशल
- अधिगम स्तर : ‘बुनियादी शिक्षा स्तर से ऊपर’
- स्कूलों का अवलोकन
असर ‘2018’ के मुख्य निष्कर्ष
पठन क्षमता
- कक्षा 5 - कक्षा 5 में नामांकित आधे से अधिक छात्र ही कक्षा 2 की पाठ्य पुस्तकें पढ़ पाने में सक्षम हैं। यह आँकड़ा 2016 में 47.9% था जो 2018 में बढ़कर 50.3% प्र आ गया है। कुछ राज्यों के सरकारी विद्यालयों में कक्षा 5 के बच्चों ने इस दौरान कुछ सुधार दर्ज किया है। ये राज्य हैं- हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रेदश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम।
- कक्षा 8 - भारत में अनिवार्य स्कूली शिक्षा का अंतिम पड़ाव कक्षा 8 माना जाता है। इस स्तर पर छात्रों से यह अपेक्षा की जाती है कि उन्हें कम-से-कम बुनियादी कौशल में महारात हासिल हो। किंतु असर (ASER) 2018 के आँकड़ों से यह पता चलता है कि कक्षा 8 से 27 प्रतिशत छात्र, कक्षा 2 की पाठ्य पुस्तकें पढ़ने में सक्षम नहीं है। यह आँकड़ा 2016 से जस-का-तस बना हुआ है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर 14 से 16 वर्ष की उम्र के सभी लड़कों में से 50 फीसदी गणित के भाग संबंधी प्रश्नां को ठीक-ठीक हल कर लेते हैं जबकि लड़कियों के मामले में सिर्प 44 फीसदी ही ऐसा कर पाने में सक्षम रहीं।
2018 में 6 से 14 साल के उम्र समूह के ऐसे बच्चे जिनका दाखिला स्कूल में नहीं हुआ का प्रतिशत तीन फीसदी से गिरकर 2.8 फीसदी हो गया है।
निष्कर्ष
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-