‘ऋणात्मक ताप पतन दर’ की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए तापीय प्रतिलोमन के प्रकारों की विवेचना करें।
19 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
सामान्यत: ऊँचाई के साथ तापमान में गिरावट होती है जिसे सामान्य ह्यस दर (Normal lepse rate) कहते हैं। यह प्रति 1,000 मीटर की ऊँचाई बढ़ने पर 6.5 सेल्सियस है जो क्षोभसीमा तक ही विस्तारित रहती है। परंतु, इस सामान्य ताप पतन के विपरीत कभी-कभी ऊँचाई के साथ तापमान में वृद्धि होती है। इसे ही ‘ऋणात्मक ताप पतन दर’ (Negative lapse rate) कहते है।
विषय-वस्तु के पहले भाग में तापीय प्रतिलोमन को स्पष्ट करेंगे-
‘ऋणात्मक ताप पतन दर’ के कारण नीचे की अपेक्षाकृत ठंडी वायु की परत के ऊपर गर्म वायु की परत स्थित हो जाती है। यह स्थिति तापमान का प्रतिलोमन कहलाती है। यह स्थिति धरातल के निकट भी उत्पन्न हो सकती है। अधिक ऊँचाई पर होने वाला प्रतिलोमन अधिक स्थायी होता है क्योंकि पार्थिव विकिरण के कारण ऊपर की गर्म परत को ठंडा करने में अधिक समय लगता है, जबकि धरातल के निकट होने वाला प्रतिलोमन अल्पकालिक होता है क्योंकि विकिरण के कारण ठंडी परत का लोप शीघ्र हो जाता है। तापीय प्रतिलोमन ध्रुवीय प्रदेशों, मध्य अक्षांशों के हिमाच्छादित भागों तथा घाटियों में अधिक देखने को मिलता है।
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में तापीय प्रतिलोमन के प्रकारों पर चर्चा की जाएगी-
विभिन्न प्रकार की दशाओं एवं कारकों के कारण तापमान का प्रतिलोमन होता है। यह प्रतिलोमन सतह के पास या सतह के ऊपर वायुमंडल की स्थिर दशाओं में या ठंडी एवं गर्म हवाओं के एक-दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश करने के कारण होता है।
तापमान के प्रतिलोमन को मुख्यत: तीन वर्गों में विभाजित किया गया है-
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-