नीति आयोग और आरबीआई के लिहाज से कर्ज माफी किसानों की समस्या का समाधान नहीं है। आपके लिहाज से अर्थव्यवस्था के लिये किसानों की कर्ज माफी कितना कारगर उपाय है? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
उत्तर :
भूमिका:
हाल ही में तीन राज्यों यानि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान द्वारा हजारों करोड़ रुपये की कृषि कर्ज़माफी की घोषणा की गई है। पिछले वर्ष भी कुछ राज्यों द्वारा कर्ज़माफी की घोषणा की गई थी। परंतु नीति आयोग और आरबीआई इसे अर्थव्यवस्था के लिये सही नहीं मान रहे हैं।
विषय-वस्तु
हमारे देश के किसानों के समक्ष कई समस्याएँ हैं जिनमें से एक प्रमुख है कर्ज की समस्या, जो कई बार किसानों की आत्महत्या का कारण भी बनता है। मुख्य प्रश्न यह है कि कृषि कर्ज़माफी अर्थव्यवस्था के लिहाज से कितना कारगर उपाय है। इस संबंध में नीति आयोग का मानना है कि कर्ज माफी जैसे कदमों से कुछ ही किसान लाभान्वित हो सकेंगे और यह किसानों की समस्याओं का दीर्घकालिक समाधान भी नहीं है। हालाँकि नीति आयोग ने स्ट्रेेटजी फॉर न्यूइंडिया /75 में किसानों की आमदनी को दोगुना करने के साथ ही आधारभूत संरचना के विकास की बात कही है।
कर्ज़माफी के नकारात्मक पक्ष
- RBI कई बार स्पष्ट कर चुकी है कि कर्ज़माफी अर्थव्यवस्था की सेहत के लिहाज से सही नहीं है। कर्ज़माफी का नकारात्मक असर राजकोषीय घाटा पर पड़ता है। हालाँकि राज्यों के मुकाबले केंद्र पर राजकोषीय घाटा ज्यादा है लेकिन इस कर्ज़माफी से राज्यों के राजकोषीय घाटा में और वृद्धि होने की आशंका जताई जा रही है।
- इस घाटे की भरपाई हेतु राज्यों को केंद्र से या फिर दूसरे विकल्पों के जरिये कर्ज लेना होगा जिससे दूसरे विकास कार्य प्रभावित होंगे।
- कर्ज़माफी का सबसे बड़ा असर व्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा दी गई रेटिंग पर पड़ता है। लगातार राजकोषीय घाटा बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था रेटिंग एजेंसियों के शक के दायरे में रहेगी।
- कर्ज़माफी से किसानों के सिर्फ एक तबके को लाभ मिलेगा क्योंकि गरीब राज्यों में बैंकों या वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या बहुत कम है। यहाँ तक कि 25% किसान भी संस्थागत कर्ज नहीं लेते।
- किसान कृषि हेतु जो कर्ज लेते हैं उसका पूरा इस्तेमाल कृषि को बढ़ावा देने में नहीं करते बल्कि दूसरे निजी जरूरतों में भी करते हैं।
किसानों की समस्या का हल
- सरकारों को कर्ज़माफी की जगह किसानों की हालत सुधारने के लिये जरूरी उपाय करने की जरूरत है जिसके अंतर्गत स्थायी और दीर्घकालिक समाधान निकालने पर जोर देने की आवश्यकता है।
- कर्ज़माफी की जगह किसानों के उपज की खरीद, उसके रख-रखाव के साथ ही उत्पादों की मार्केटिंग पर ध्यान दिया जाए ताकि उत्पादों की कीमत में स्थिरता बनी रहे।
- किसानों की समस्या के लॉन्ग टर्म समाधान के लिये मार्केटिंग तथा इंप्रास्ट्रक्चर का विकास करना होगा और किसानों को मार्केट से लिंक करना होगा।
- सबसे मुख्य बात है कृषि क्षेत्र में पूंजी निवेश को बढ़ाना, जो वर्तमान में काफी कम है। उन राज्यों में निवेश काफी कम है जहाँ कर्ज़माफी की गई है।
- उत्पादन क्षति, सूखा, अधिक वर्षा, मौसम का अनुकूल न होना, जल की कमी आदि समस्याएँ किसानों की कृषि संबंधी समस्याएँ बढ़ाने के प्रमुख कारक हैं जिसका स्थायी समाधान निकालना बेहद जरूरी है।
निष्कर्ष
एक तरफ जहाँ राजनीतिक दल किसानों की कर्ज़माफी के लुभावने वादे कर सत्ता हासिल कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अर्थशास्त्री इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिये चुनाव आयोग से अपील कर रहे हैं। किसानों की मदद के लिये बेहतर रास्ता यह होगा कि उन्हें कर्ज़माफी जैसी सुविधा के बजाय कृषि संबंधी जरूरी सामानों को मुहैया कराया जाए तथा कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाए। सरकारों को इस दिशा में पहल करने की जरूरत है और किसानों के लिये वे ऐसी योजनाएँ तैयार करें जिससे गरीब से लेकर संपन्न किसान को कर्ज की जरूरत ही नहीं पड़े और वे आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन सके।