भारत में एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया के माध्यम से वैश्विक स्तर पर उपलब्ध नई निर्माण प्रौद्योगिकियों द्वारा कम लागत और कम समय में अच्छी गुणवत्ता के साथ लोगों को आवास उपलब्ध कराए जाएंगे। इस कथन को हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया के संदर्भ में स्पष्ट करें।
18 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय
कम कीमत एवं कम समय में सर्वश्रेष्ठ तकनीक की मदद से घरों के निर्माण के उद्देश्य से केंद्रीय आवास एवं शहरी मंत्रालय द्वारा वैश्विक आवास तकनीक चुनौती की शुरुआत की गई है। ‘प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी’ के अंतर्गत की गई इस पहल का ध्येय 2022 तक 1.2 करोड़ किफायती घरों का निर्माया करना है।
2011 की जनगणना के अनुसार 2001 से 2011 के बीच देश में 18.1 करोड़ नई आबादी जुड़ गई है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार देश में लगभग ढाई करोड़ मकानों की कमी है। शहरों में मकानों की कमी के कारण मलिन बस्तियों के विस्तार में लगातार तेजी आ रही हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के अनुसार देश की अधिकांश रिहायशी इकाइयों में बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है। इस चैलेंज द्वारा आवास की कमी से जुड़े मुद्दों को दूर करने में मदद मिलेगी। इसके तहत सरकार विश्व की सर्वश्रेष्ठ तकनीकी से रिकार्ड समय में घर बनाएगी। इससे समय के साथ आवास निर्माण में आने वाली लागत में कमी आएगी जो पर्यावरण के साथ ही आपदा प्रबंधन के दृष्टि से भी बेहतर होंगे।
ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया की संकल्पना देश में निर्माण क्षेत्र में आवश्यक महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने के लिये की गई है। यह तकनीकी अवधारणा में बदलाव के साथ आवास निर्माण करने के तरीके में भी परिवर्तन लाएगा। भवन निर्माण उद्योग में शामिल सभी हितधारक, प्रौद्योगिकी प्रदाता, डेवलपर्स इस चैलेंज में हिस्सा लेंगे। इस चुनौतीपूर्ण प्रव्रिया के माध्यम से वैश्विक स्तर पर उपलब्ध नवोन्मेषी निर्माण प्रौद्योगिकियाँ प्राप्त की जाएँगी। इसके तहत देश में अनुसंधान एवं विकास हेतु उपयुक्त वातावरण तैयार करने के लिये भावी प्रौद्योगिकियों को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
आवास निर्माण की चुनौतियों से निपटने के लिये किये जाने वाला तकनीक तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने, नए शहरी एजेंडे और पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने की दिशा में योगदान देगा। वैकल्पिक, नवोन्मेषी और फास्ट ट्रैक प्रौद्योगिकियों का लक्ष्य हैं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, निर्माण काम में तेजी लाना, औद्योगिक तथा निर्माण संबंधी अपशिष्ट का उपयोग, लागत में कटौती, श्रम उत्पादकता में वृद्धि, वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी, जल का सर्वोत्तम इस्तेमाल, सुरक्षित और आपदा से उभरने में सक्षम मकान, सभी प्रकार के मौसम के अनूकूल मकान का निर्माण। इस प्रकार प्रौद्योगिकी हस्तांतरण द्वारा देश, विश्व की उन्नत अर्थव्यवस्थाओं तथा निर्माण क्षेत्र में उनके द्वारा स्थापित मानदंडों के समकक्ष आ जाएगा।
अंत में संक्षिप्त, सारगर्भित एवं संतुलित निष्कर्ष लिखें-
हम जानते हैं कि बढ़ती जनसंख्या देश की आवास समस्या में भी वृद्धि कर रही है। आवास की कमी के कारण देश के करोड़ों लोग इस मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। ऐसे में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया के द्वारा भवन निर्माण क्षेत्र में व्रांतिकारी बदलाव आएगा और यह आवास की कमी से जुड़े मुद्दों को समयबद्ध तरीके से दूर करने के लिये रणनीतियाँ बनाने में सहायक होगा।