भारत में ब्रिटिश शासन द्वारा स्थापित डाक, टेलीग्राम तथा रेलवे के महत्त्व की चर्चा करें।
15 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
19वीं सदी के आरंभिक दशकों में भारत के संदर्भ में ब्रिटिश नीति बदलने लगी थी। अब ब्रिटिश हित व्यापारिक पूंजीवाद के बजाए औद्योगिक पूंजीवाद से परिचालित होने लगे थे। ब्रिटेन के नवोदित पूंजीवादी वर्ग की लालसा थी कि भारत का विकास ब्रिटिश वस्तुओं के बाजार के रूप में हो। राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने डाक, तार, टेलीग्राम एवं रेलवे के विकास को उपर्युक्त संदर्भ में देखा।
डलहौजी के सुधारों में उपयोगितावादी विचारों का प्रभाव भी था। इसलिये उसने एक सक्षम प्रशासन तथा उन्नत संचार व्यवस्था के विकास पर बल दिया। उसने सार्वजनिक निर्माण विभाग की स्थापना की।
1900 तक भारत में 5900 मील लंबी पक्की सड़क का निर्माण हो चुका था। उसने डाक विभाग की स्थापना की ताकि महँगे पत्र व्यवहार को सस्ता किया जा सके। उसने डाक टिकट जारी किया। दो पैसे के टिकट की सहायता से किसी भी क्षेत्र में पत्र भेजा जा सकता था। उसी प्रकार डलहौजी के अंतर्गत ही भारत में टेलीग्राम (तार) व्यवस्था की शुरुआत हुई। पहली टेलीग्राम लाइन कोलकाता और आगरा के बीच बनाई गई। रेलवे के महत्त्व समझते हुए रेलवे का निर्माण शुरू हुआ।
रेलवे, डाक, टेलीग्राम का निर्माण औपनिवेशिक सरकार के लिये न केवल आर्थिक अपितु राजनीतिक दृष्टि से भी उपयोगी सिद्ध हुई। दूसरी ओर इसने अनजाने ही भारत में राजनीतिक एकता स्थापित करने तथा राष्ट्रवाद के विकास में मदद की।