उन परिस्थितियों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये जिनके कारण भारत को बांग्लादेश के उदय में निर्णायक भूमिका का निर्वहन करना पड़ा।
14 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
बंग्लादेश के उदय की पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए उत्तर प्रारंभ करें-
भारत में 1971 में हुए आम चुनाव के थोड़े समय उपरांत ही पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में एक बड़ा राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया। भारत के इस संकट में खींचे जाने से भारत और पाकिस्तान के मध्य युद्ध हुआ जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र की उत्पत्ति हुई।
विषय वस्तु के मुख्य भाग में बांग्लादेश के उदय में निर्णायक भूमिका निभाने वाली परिस्थितियों पर चर्चा करेंगे-
दिसंबर 1970 में पाकिस्तान में सैनिक तानाशाह याहया खान ने स्वतंत्र चुनाव कराए। इस चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान के आवामी लीग के नेता मुजीबुर्रहमान को बहुमत प्राप्त हुआ। परंतु याहया खान द्वारा मुजीब को प्रधानमंत्री नियुक्त करने से मना करने के प्रतिक्रियास्वरूप पाकिस्तान में गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गयी। शेख मुजीब को गिरफ्तार करने के बाद पाकिस्तान की सेनाओं द्वारा विद्रोह को दबाने के नाम पर पूर्वी पाकिस्तान में अमानवीय अत्याचार और नरसंहार प्रारंभ हो गया। इस अमानवीय अत्याचार से बचने के लिये बड़ी संख्या में शरणार्थी भारत आए और नवंबर 1971 तक यह संख्या 1 करोड़ पार कर गई।
भारत सरकार पर इस शरणार्थी समस्या से निपटने के लिये पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का अत्यधिक दबाव था। किंतु भारत सरकार जल्दबाजी में कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती थी। भारत ने अमेरिका तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की किंतु अमेरिका ने पाकिस्तान से ही सहानुभूति जतायी। अत: भारत ने शरणार्थियों द्वारा बनाए गए ‘मुक्तिवाहिनी’ नामक छापामार संगठन को सहयोग देना प्रारंभ कर दिया।
यद्यपि दिसंबर आते-आते युद्ध अवश्यंभावी हो गया था किंतु 3 दिसंबर को पाकिस्तान ने पहले ही पश्चिमी भारत के कई वायु सैनिक अड्डों पर हमला कर दिया। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी तीव्र कार्रवाई की तथा कई मोर्चों पर उनको पराजित किया तथा पाकिस्तान के कई क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। अंतत: पराजय के चलते 16 दिसंबर, 1971 को पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया और बांग्लादेश के रूप में एक नया देश सामने आया, जिसके निर्माण में भारत की भूमिका निर्णायक रही।
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखे-