भारत में व्यापार घाटे का एक प्रमुख कारण रहे, स्वर्ण आयात, में कमी लाने के उद्देश्य से लाई गई स्वर्ण मुद्रीकरण योजना को आप किस हद तक सफल और असफल मानेंगे। हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा स्वर्ण मुद्रीकरण योजना में किये जा रहे बदलाव के मद्देनजर इस पर चर्चा करें।
12 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना की शुरुआत 2015 में की गई थी। हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना में कुछ बदलाव लाने की घोषणा की है।
विषय वस्तु के पहले भाग में हम स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना के बारे में चर्चा करेंगे-
स्वर्णमुद्रीकरण योजना के तहत कोई भी व्यक्ति अपने बेकार पड़े सोना को बैंक में सावधि जमा के रूप में जमा कर सकता है। इस पर इन्हें 2.25% से 2.50% तक ब्याज मिलता है एवं परिपक्वता अवधि के पश्चात् वे इसे सोना अथवा रुपए के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। इस स्कीम के तहत इसमें कम-से-कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना बैंक में रखना होता है। जिसमें बैंक गोल्ड वार, सिक्के, गहनों को स्वीकृति दी गई है।
भारत द्वारा बड़े पैमाने पर किये जाने वाले स्वर्ण आयात को कम करने के लिये प्रारंभ की गई थी क्योंकि भारत के व्यापार घाटे की एक बड़ी वजह स्वर्ण आयात को माना जाता है। उम्मीद की गई थी इस पहल से घरों एवं मंदिरों में बेकार पड़ा सोना बड़ी मात्रा में बैंकों में जमा होगा। जिसे पिघलाकर जौहरियों एवं अन्य प्रयोक्ताओं को प्रदान किया जा सकेगा। इस प्रकार सोने के पुर्नचक्रण के माध्यम से सोने के आयात में कमी आएगी।
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में स्वर्ण मुद्रीकरण योजना किस हद तक सफल और असफल रही एवं इसमें आरवीआई द्वारा किये जा रहे बदलावों पर चर्चा करेंगे-
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखे-
स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना आर्थिक दृष्टिकोण से एक प्रगतिशील पहल है जो निवेशकों द्वारा सोने के इष्टतम उपयोग को बढ़ाने एवं देश के व्यापार घाटे को कम करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है। अत: सरकार द्वारा सोने की तरलता एवं पूंजी लाभों को सुनिश्चित कर इस योजना को सफल बनाया जा सकता है।