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प्रश्न :
संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स एवं क्राइम ऑफिस (UNODC) द्वारा जारी वैश्विक रिपोर्ट दर्शाती है कि यूरोप में मानव तस्करी मुख्यत: भारत, बांग्लादेश सहित दक्षिण-एशियाई देशों से की गई। क्या आपको लगता है कि कुछ समय पूर्व लाया गया व्यक्तियों की तस्करी(रोकथाम,सुरक्षा और पुनर्वास) विधेयक,2018 मानव तस्करी को रोकने में अपर्याप्त है।समालोचनात्मक टिप्पणी कीजिये।
12 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्यायउत्तर :
भूमिका:
UN की रिपोर्ट के बारे में चर्चा करते हुए उत्तर प्रारंभ करें-हाल ही में यूएन की एक रिपोर्ट में यूरोप में मानव तस्करी, विशेष रूप से बच्चों की तस्करी की भयावह स्थिति प्रदर्शित की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार मानव तस्करी से लगभग एक-तिहाई बच्चे पीड़ित है जिन्हें मुख्यत: बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान सहित दक्षिण एशियाई देशों से तस्करी कर लाया गया है।
विषय-वस्तु
विषय-वस्तु के पहले भाग में रिपोर्ट की मुख्य बातों पर चर्चा की जाएगी एवं मानव तस्करी के अन्य पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे-संयुक्त राष्ट्र का ड्रग्स एंड क्राइम ऑफिस (UNODC) 142 देशों की तस्करी की स्थिति और प्रक्रिया के जाँच की वैश्विक रिपोर्ट जारी करता है। मानव तस्करी की निगरानी का कार्य संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास एजेंडा का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे सदस्य देशों को इस समस्या से निपटने में हुई प्रगति की निगरानी करने और लैंगिक व उम्र के आधार पर शोषण के शिकार लोगों की संख्या ज्ञात करने में मदद मिलती है। अपने मूल क्षेत्र से बाहर तस्करी कर लाए गए ज़्यादातर पीड़ित पूर्वी एशियाई देशों से है, इसके बाद उप-सहारा अफ्रीका का स्थान आता है। महिलाओं और लड़कियों को दुनिया भर में सबसे अधिक तस्करी का शिकार बनाया जाता है।
मानव तस्करी का कारण
- आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने, समाज में भय फैलाने और तस्करी किये गए लोगों को आतंवादी संगठनों में भर्ती के लिये प्रोत्साहित करना।
- बाल सैनिकों के रूप में श्रम और यौन गुलामी को बढ़ावा देना
- महिलाओं का सामाजिक, शारीरिक एवं मानसिक शोषण
- यौन शोषण के लिये तस्करी करना यूरोपीय देशों में सबसे ज़्यादा प्रचलन में है, जबकि उप-सहारा अफ्रिका और मध्य-पूर्व के देशों में जबरन अवैध व्यापार ज़्यादा प्रचलन में है।
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) विधेयक, 2018 के प्रमुख प्रावधानों और उनकी कमियों पर चर्चा करेंगे-
- व्यक्तियों की तस्करी विधेयक, 2018 मानव तस्करी रोकथाम, बचाव तथा पुनर्वास की दृष्टि से समस्या का समाधान प्रदान करता है।
- यह प्रथम मानव तस्करी विरोधी विधेयक है जो अत्यंत कमजोर व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं एवं बच्चों को प्रभावित करने वाले घृणित एवं अदृश्य अपराधों से निपटने के लिये समाधान प्रदान करता है।
- इस विधेयक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये पीड़ित एवं अपराधी के मध्य अंतर स्थापित करता है।
- इस विधेयक में तस्करी के विभिन्न रूपों, जैसे- जबरन मजदूरी, भीख मांगना, विवाह के लिये या विवाह के बाद महिलाओं की तस्करी, समय से पहले यौन परिपक्वता के लिये किसी व्यक्ति को रासायनिक पदार्थ या हार्मोंस देना आदि को शामिल किया गया है।
- इसके अनुसार पीड़ित को 24 घंटे के अंदर पुलिस ऑफिसर या सरकारी कर्मचारी द्वारा जिला तस्करी विरोधी समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
- इसमें पीड़ितों के पुनर्वास पर जोर दिया गया है जिसके अंतर्गत बचाए गए लोगों के लिये तत्काल सुरक्षा एवं पुनर्वास की व्यवस्था होगी।
- इस बिल में पीड़ित के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक देखभाल के लिये पहली बार पुनर्वास कोष का निर्माण किया गया है।
- सजा प्रावधानों के तहत न्यूनतम सजा 10 वर्ष सश्रम कारावास से आजीवन कारावास तक की तय की गई है।
लेकिन हम पाते हैं कि इस बिल में तस्करी एवं पुनर्वास के लिये एक उपयुक्त परिभाषा का अभाव है। यह मजदूरी के लिये की गई तस्करी को ज्यादा महत्त्व नहीं देता। बिल में मानव अंगों के निष्कासन एवं जबरन विवाह जैसे मुद्दों का भी जिक्र नहीं किया गया है। इसके क्रियान्वयन के लिये आवश्यक श्रम शक्ति एवं संसाधनों के स्रोतों की भी इसमें चर्चा नहीं है। विशेष जाँच एजेंसी एवं राज्य इकाइयों के मध्य के संबंध को भी स्पष्ट नहीं किया गया है। इस बिल में समुदाय आधारित पुनर्वास के लिये कोई स्थान नहीं है। मानव तस्करी जैसे वैश्विक मुद्दे से निपटने के लिये इन सभी कमियों को दूर किये जाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखे-To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
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