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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    बहुविषयक साइबर-फिजिकल प्रणालियों के राष्ट्रीय मिशन (NM-ICPS) क्या है? इसके उद्देश्यों, संभावित लाभों एवं इसे लाने के पीछे की आवश्यकता पर चर्चा करें।

    07 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    भूमिका:


    हाल ही में मंत्रिमंडल द्वारा बहुविषयक साइबर-फिज़िकल प्रणालियों के राष्ट्रीय मिशन (NM-ICPS) को मंज़ूरी दी गई। इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा लागू किया जाएगा।

    विषय-वस्तु


    विषय-वस्तु के पहले भाग में इस राष्ट्रीय मिशन के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे-

    • NM-ICPS एक समग्र मिशन है जो साइबर-फिज़िकल प्रणालियों में प्रौद्योगिकी विकास, विनियोग विकास, मानव संसाधन विकास, कौशल विकास, उद्यमशीलता और स्टार्ट-अप विकास तथा संबंधित प्रौद्योगिकियों पर आधारित मुद्दो को हल करेगा।
    • इस मिशन के द्वारा समाज की बढ़ती प्रौद्योगिकी संबंधी ज़रूरतों को पूरा किया जाएगा। यह अगली पीढ़ी के प्रौद्योगिक विकास के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय रूझानों का पता लगाएगा।

    इस मिशन के तहत निम्नलिखित कार्य किये जाएंगे-

    • इससे देश में साइबर-फिजिकल प्रणालियों (CPS) और संबंधित प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
    • भारतीय परिस्थतियों के मद्देनज़र राष्ट्रीय या क्षेत्रीय मुद्दों को हल करने के लिये CPS प्रौद्योगिकियों को अपनाना।
    • साइबर-फिज़िकल प्रणालियों के संबंध में अगली पीढ़ी की कुशल श्रमशक्ति का सृजन करना।

    मिशन का लक्ष्य 15 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र (TIH), 6 विनियोग नवाचार केंद्र (AIH) और 4 प्रौद्योगिकी आधारित नव-अनुसंधान केंद्र (TTRP) स्थापित करना है। ये नवाचार केंद्र और TTRP देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक, अनुसंधान एवं विकास तथा अन्य संगठनों के समाधान विकास हेतु शैक्षणिक संस्थानों, उद्योगों, केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों को आपस में जोड़ेंगें। इन नवाचार केंद्रों और TTRP के निम्न चार प्रमुख क्षेत्रों के साथ मिलकर मिशन के कार्यान्वयन संबंधी कार्यों को पूरा किया जाएगा।

    i) प्रौद्योगिकी विकास
    ii) मानव संसाधन विकास एवं कौशल विकास
    iii) नवाचार, उद्यमिता एवं स्टार्ट-अप इको प्रणाली विकास
    iv) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

    विषय वस्तु के दूसरे भाग में मिशन के संभावित लाभ एवं उसे लाने के पीछे की आवश्यकता पर चर्चा करेंगे-

    मिशन के संभावित लाभ-

    • CPS प्रौद्योगिकियों के कारगर इस्तेमाल से केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों और उद्योगों को अपनी परियोजनाएँ संचालित करने में मदद मिलेगी।
    • CPS प्रौद्योगिकियों से राष्ट्र की वैज्ञानिक, अभियंत्रिकी और प्रौद्योगिकी नवाचार क्षमताओं को नई धार मिलगी। इससे औद्योगिक तथा आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा का माहौल तैयार होगा।
    • यह मिशन विकास का माध्यम बनेगा, जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि, रणनीति आधारित सुरक्षा और औद्योगिक क्षेत्रों में राष्ट्रीय पहलों को लाभ होगा। साथ ही इससे इंडस्ट्री 4.0, स्मार्ट सिटी, सतत् विकास लक्ष्यों आदि के संबंध में भी लाभ होगा।
    • प्रौद्योगिकी आधारित नव-अनुसंधान में तेज़ी आएगी।
    • CPS में उद्यमिता और स्टार्ट-अप इको प्रणाली के विकास में तेज़ी आएगी।
    • CPS, प्रौद्योगिकी विकास तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग विषयों में उच्च शिक्षा के लिये उन्नत अनुसंधान में तेज़ी आएगी।
    • भारत को अन्य उन्नत देशों के समकक्ष लाने में मदद करेगा तथा इससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हाेंगे।
    • CPS तथा संबंधित क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी आधारित रोज़गार पैदा हाेंगे।

    मिशन की आवश्यकता क्यों?

    CPS और कृत्रिम बौद्धिकता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लार्निंग, डीप लर्निंग, बिग डेटा एनालिटिक्स, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, डेटा साइंस और भौतिक एवं अन्य संरचनाओं के संबंध में साइबर सुरक्षा से संबंधित एवं अन्य प्रौद्योगिकियों का काफी विकास हुआ है। इन प्रौद्योगिकियों के चलते मानव ने कई महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों को हासिल किया है। सरकार और उद्योग के लिये यह आवश्यक हो गया है कि वे प्रतिस्पर्द्धात्मक माहौल को बनाए रखने, सामाजिक विकास, रोज़गार सृजन, आर्थिक विकास में तेजी लाने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने तथा पर्यावरण को सुरक्षित बनाए रखने संबंधी सभी चुनौतियों का सामना करने के लिये इन उभरती हुई प्रौद्योगिकी को अपनाएँ और विकास की राह में तेज़ी से अग्रसर हो।

    निष्कर्ष


    अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-

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